देश को आर्थिक मंदी के दौर में जबरन धकेला गया
– केंद्र की सरकार करे ज़न भावनाओं का सम्मान
देहरादून। देश में मोदी-शाह की जोड़ी जो चाह रही है, शायद वैसा न हो। देश आर्थिक मंदी के दौर में जबरन धकेल दिया गया है, इसलिए कह रहा हूँ कि, ये हालात नोटबन्दी व जीएसटी के कारण उत्पन्न हुए, जो बिना सोचे समझे देश पे थोपी गयी। देश की जीडीपी लगातार रसातल की ओर अग्रसर है, Industrial Slow Down जबरदस्त है, और लगातार उद्योग बन्द हो रहे हैं। जिसके कारण रोजगार घट रहे हैं, और बेरोजगारी 45 वर्षों में सबसे अधिक होने का कीर्तिमान बना चुकी है। किसान देश भर में बेचैन है, कृषि उत्पाद दर भी लगातार घट रही है, महंगाई भी नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है, प्याज देश के कई हिस्सों में 175 रुपया पहुंच गया है,
पिछले छह वर्षों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत यूपीए 2 के कार्यकाल में रही औसत कीमत से आधी रही। किन्तु पेट्रोल-डीजल की कीमत लगातार बढ़ रही है।जिसका मुनाफा सरकार ले रही है। रसोई गैस जो यूपीए 2 सरकार के जमाने में 400 पर नहीं हुई, कभी वो 800 से 1000 के बीच हो गयी मोदी राज में। कुल मिला कर मोदी-शाह के राज में देश के बिगड़े हालात सुधारने का जब कोई रास्ता दिखाई नहीं पड़ रहा तो सबसे आसान रास्ता जो 2002 से इस जोड़ी ने सीखा है, और अपनाया है। वो है हिन्दू-मुस्लिम और वही आज किया गया है।
CAA के समर्थन में ज्ञान बांट रहे लोगों से मैं एक प्रश्न पूछना चाहता हूं कि, जब ये कानून उन लोगों के लिए है। जो वर्ष 2014 से पूर्व भारत में आये बिना किसी वैध DOCUMENT के तो उंगली दिखा-दिखा के सांसद में ग्रहः मंत्री ने ये क्यों कहा कि, अभी तो कैब आया है। अभी इसके बाद देश में एनआरसी आएगा। क्यों CAB में जान बूझ कर एक समुदाय को छोड़ा गया? क्या बंटवारे में अफगानिस्तान भी भारत का हिस्सा था? और अगर नहीं था तो अन्य पड़ोसी देशों के धार्मिक आधार पर सताए गए अल्पसंख्यक को क्यों छोड़ा गया? वास्तव में यह कानून मोदी-शाह दोनों के दिमाग की उपज है।
दो कारणों से पहला मैंने विस्तार से लिख दिया और दूसरा असम में फंसी गर्दन निकालने के लिए जहां 19 लाख एनआरसी में बाहर हुए लोगों में 14 लाख हिन्दू,
भारत के संविधान की प्रस्तावना में ही WE THE CITIZEN OF INDIA है। किसी धर्म के आधार पर भारतीय नागरिकों के अधिकार या कर्तव्य नहीं है। तो ऐसे में इस नागरिकता संशोधन कानून से भारत के महान संविधान की मूल प्रस्तावना को नष्ट-भ्रष्ट करने का अधिकार किसने दिया इन लोगों को?
आज मुझे इस बात का कष्ट है कि, CAA व NRC के खिलाफ देश भर में हो रहे जबर्दात विरोध में कई जगह हिंसा भड़क गई, जो कतई अच्छा नहीं। विरोध शांतिपूर्ण होना चाहिए हर हाल में, लेकिन जहां-जहां हिंसा हो रही है। वहां एक बात COMMON है कि, कुछ नकाबपोश लोग आ कर इसकी शुरुआत कर रहे हैं, कौन हैं ये नकाब पोश लोग? क्या पुलिस और राज्य सरकार के खुफिया विभाग की जिम्मेदारी नहीं है ये पता लगाने की? मेरा विरोध करने वालों से आग्रह है कि, वो उन लोगों के मन की न होने दें, जो चाहते ही यह हैं कि, हिंसा फैले और असली मुद्दा दफन हो जाये और देश में भाईचारा समाप्त हो और हिन्दू बनाम मुस्लिम सफल हो जाय।
मुझे एक बात का इत्मीनान है कि, देश के विभिन्न हिस्सों में चल रहे छात्र आंदोलन में युवा छात्रों के बीच समझदारी व सौहार्द है। आंदोलन में सब हैं और वे इस कानून के पीछे की मंशा को ठीक तरह से समझ रहे हैं। मेरी ये प्रार्थना है सर्व शक्तिमान परमेश्वर से कि, सबको सदबुद्धि आये, कहीं भी हिंसा न हो, केंद्र की सरकार भी ज़न भावनाओं का सम्मान करें और इस कानून को वापस ले कर एक सर्वमान्य कानून लाये देश हित में।