मानक को दरकिनार कर बनाए बोर्ड परीक्षा केन्द्र
– बीते वर्षो में परीक्षा केन्द्रो में धनादोहन कर खुलकर कराई गई थी नकल….
– शिक्षा विभाग के जिम्मेदारो ने लाखो की रकम वसूल कर बन्द विद्यालयो को घोषित कर दिया बोर्ड परीक्षा केन्द्र….
अझुवा कौशाम्बी। सूत्रों से ज्ञात हुआ कि, यूपी बोर्ड परीक्षा वर्ष 2020 के बोर्ड परीक्षा केन्द्र निर्धारण में जमकर धांधली हुई है। बीती परम्परा की तरह इस वर्ष भी शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों ने मोटी रकम वसूल कर मानक विहीन विद्यालयों को बोर्ड परीक्षा केन्द्र घोषित कर दिया है। जिले में तमाम ऐसे विद्यालय बोर्ड परीक्षा केन्द्र बनाये गये है, जहां पूरे वर्ष ताला बन्द रहता है, और केवल परीक्षा के समय विद्यालय खुलते है। इन विद्यालयों के फर्नीचरों में जमी धूल देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि, यह विद्यालय पूरे वर्ष बन्द रहते है।
जिन विद्यालयों को इस वर्ष परीक्षा केन्द्र बनाया गया है, उनमें तमाम ऐसे विद्यालय है, जिनके पास विद्यालय के अपने भवन नही है। विद्यालयों को दूसरी भाषा में खंडहर कहा जाये तो अधिक नही होगा। खंडहर में तब्दील विद्यालयों को बोर्ड परीक्षा केन्द्र घोषित कर यूपी बोर्ड के जिम्मेदारों ने गुलाबी नोटो से तिजोरी भर ली है। यूपी बोर्ड के जिम्मेदारों की अंधेरगर्दी का अंत यही खत्म नही होता है।
बताते चलें कि, तमाम विद्यालय ऐसे बोर्ड परीक्षा केन्द्र बनाये गये है, जिनके पास अध्यापक ही नही है। कम पढे लिखे लोगों को अध्यापक की टाइटिल देकर उन्ही के जिम्मे बोर्ड परीक्षा केन्द्र की जिम्मेदारी सौंपकर शिक्षा विभाग वर्ष 2020 की बोर्ड परीक्षा सम्पन्न कराना चाहता है। ऐसे विद्यालयों पर परीक्षार्थियों से धनादोहन का आरोप बीते वर्ष भी लगता था और इस वर्ष भी लगेगा।
लेकिन अव्यवस्थित विद्यालयों को परीक्षा केन्द्र घोषित कर योगी सरकार की नजर में शिक्षा विभाग के जिम्मेदार तीस मारखां बनते दिख रहे है। इन विद्यालयों में कैसे निष्पक्ष बोर्ड परीक्षा सम्पन्न होगी यह बडा सवाल है। लेकिन शिक्षा समिति द्वारा बनाये गये बोर्ड परीक्षा केन्द्र की सूची पर जिला मंडल और प्रदेश से बिना किसी जांच पडताल के अन्तिम मोहर लगा दी गयी हैं।
इतना ही नही विद्यालयों के मान्यता पत्रावली के समय से लेकर विभिन्न स्तर पर बार-बार परीक्षा केन्द्र के भवन की जांच कराई जाती है। लेकिन जांच अधिकारी झूठी रिर्पोट लगाकर परीक्षा केन्द्र के प्रबंधको से तिजोरी भर लेते है। जो जांच का विषय है, और बोर्ड परीक्षा केन्द्र निर्धारण में यदि धांधली की शासन स्तर से जांच हुई तो जिला विद्यालय निरीक्षक का दंडित होना तय है। लेकिन क्या शासन इस अव्यवस्था की जांच कराएगा? यह भी बडा सवाल है।
सिराथू तहसील क्षेत्र के अझुवा और उसके आस-पास कई विद्यालय शिक्षा माफियाओं के हैं। जिन्होने सपा शासन काल में अधिकारियो पर हनक जमाकर फर्जी पत्रावलियो पर मान्यता ली है, और इन दबंग प्रबन्धक के विद्यालयों से मोटी रकम लेकर इन्हें परीक्षा केन्द्र भी शिक्षा विभाग बना देता है। इन्ही तमाम विद्यालयी में हरीओम साहू उच्चतर माध्यामिक विद्यालय अझुवा भी शामिल है। जिसमे बिल्डिंग का पता नहीं, यदि इन विद्यालयों की फिर से जांच हुई तो प्रबन्धक के गोरखधन्धे का उजागर होना तय है।