उत्तराखंड पुनर्वास निदेशालय के नक्शे कदम पर देहरादून नगर निगम
देहरादून। उत्तराखंड में अफ़सरशाही कितनी लापरवाही से काम करती है। इसकी बानगी ऋषिकेश में टिहरी विस्थापितों की कॉलोनी में हाल ही में हमे देखने को मिली थी। उत्तराखंड पुनर्वास निदेशालय ने टिहरी बांध से विस्थापित हुए लोगों को ज़मीन का आवंटन ऋषिकेश में किया था। हैरानी की बात यह है कि, निदेशालय ने पशुपालन विभाग की भूमि पर आवंटन कर दिया था, बिना भूमि ट्रांस्फ़र करवाए और बिना किसी की इजाज़त लिए।
बता दें कि, पशुपालन विभाग हाईकोर्ट गया और वहां से केस जीत गया। इसके बाद टिहरी विस्थापतों को उस ज़मीन से बेदखल कर दिया गया जो उन्हें पुनर्वास निदेशालय ने आवंटित की थी। अब उत्तराखंड की अस्थाई राजधानी देहरादून में भी ऐसा ही खेल चल रहा है।
बताते चलें कि, ऋषिकेश का मामला इसलिए सुर्खियों में आया क्योंकि, पुलिसकर्मियों ने टिहरी विस्थापितों वीवीआईपी कॉलोनी में कब्ज़ा हटाने के लिए पशुपालन विभाग की टीम के साथ पहुंचे पुलिसकर्मियों ने महिलाओं के साथ गाली-गलौच की और एक किशोर की पिटाई कर दी थी। अगर ऐसा न होता तो शायद उत्तराखंड पुनर्वास निदेशालय के अफ़सरों की आपराधिक लापरवाही ख़बरों में भी न आती
फिलहाल अब देहरादून नगर निगम भी पुनर्वास निदेशालय के ही नक्शे-कदम पर चल रहा है। देहरादून नगर निगम ने शहर के एक प्रमुख मार्ग पर सिंचाई विभाग की ज़मीन पर कब्ज़ा कर उस पर वेंडिंग ज़ोन का निर्माण शुरु कर दिया है। नगर निगम ने इसके लिए चंद दुकानदारों से पैसे भी वसूल लिए हैं और पांच साल के लिए वेंडिंग ज़ोन में दुकानें आवंटित कर दी गई हैं।