अभिनेत्री अमृता की पैतृक भूमि पर भूमाफियाओं की नजरें
देहरादून। अभी हाल ही में कैंटबोर्ड क्षेत्र में एक और भूमि का बड़ा फर्जीवाड़ा प्रकाश में आया है। यह वही भूमि है जिसका विवाद बीते कुछ माह पूर्व अखबारों के फ्रंट पेज की हेडलाइंस बना रहा। मामला मशहूर अभिनेत्री अमृता सिंह, अमृता की मौसी ताहिरा और अभिनेत्री अमृता सिंह के मामा मधुसूदन बिम्पेट जो स्वर्गीय हो गये है, का है। बता दें कि, उक्त भूमि अमृता सिंह के नाना और ताहिरा के पिता की पैतृक संपत्ति है। जिसके आखिरी वारिस अमृता के मामा और ताहिरा के भाई मधुसूधन थे, जिनकी मृत्यु के बाद इस जमीन से संबंधित अब कई पहलू प्रकाश में आए है।
बताते चलें कि, अमृता सिंह की पैतृक भूमि कैंटबोर्ड में दर्ज तो है पर कम, कागजों में जितनी भूमि दर्शाई गई है उससे थोड़ी अधिक भूमि मौके पर है। मौके पर उक्त भूमि सात से आठ बीघा से अधिक है। परंतु इस बेनामी जमीन में भी शहर व क्षेत्र के भूमाफियाओं की नजरें गड़ी हुई थी। जिसका परिणाम यह हुआ की जमीन में धोखाधड़ी करने का अभी एक भूमाफिया के ऊपर मुकदमा दर्ज हुआ है। उक्त भूमि से लगता हुआ ग्राफिक एरा कैंपस के प्रबंधन निदेशक सुभाष गुप्ता द्वारा मुकदमा दर्ज कराया गया है।
विवादितों से घिरी भूमि में मुख्य मुद्दा है कि, उक्त भूमि में असंख्य पेड़ खड़े है जो अब निश्चित है कि काटे जाएंगे, साथ ही भूमि के बीच से गुजरता सरकारी नाला जो पहले बड़ा नाला था, परन्तु वर्तमान में छोटा होते-होते निश्चित है कि, आने वाले समय मे जमीन में ही समा जाएगा या यूं कह लो की विलय हो जाएगा।
असल में क्लेमेंट टाउन कैंटबोर्ड के नियम बहुत ही सख्त है, पर क्षेत्रीय भूमाफियाओं से सामने बिल्कुल भी कठनाइयाँ नहीं आती। क्या कैंटबोर्ड के नियम सिर्फ क्षेत्रीय जनता के लिए ही सख्त है? या फिर मीडिया और सरकार को दिखाने के लिए यह सख्त नियम बनाये गए है? पिछले सात-आठ वर्षों से कैंटबोर्ड में नियमों की खूब धज्जियां उड़ाई जा रही है। जिसका परिणाम अब सभी के सामने आया है। अब मुख्य सवाल यह उठता है कि, इस प्लॉट में लगे असंख्य पेड़ों का व सरकारी नाले का आखिर क्या होगा? क्या कैंटबोर्ड पेड़ों के कटान के लिए भी एनओसी देगा या नहीं?