जघन्य अपराध हो गया भारत में बिना कागजात के गाड़ी चलाना
– ब्लात्कार/गर्भपात में 10-10 हजार जुर्माना, 3 से 7 साल सजा….
देहरादून। 03 सितंबर 2019 की एक अदालत ने मूक-बधिर युवती के साथ दुष्कर्म मामले में दोषी को सात साल की सजा सुनाई है। सरकार द्वारा संचालित नारी निकेतन में झाड़ू-पोछा करने वाले गुरुदास को युवती के साथ साल 2015 में दुष्कर्म करने और गर्भवती होने पर जबरन गर्भपात करवाने के मामले में सात साल के कारावास की सजा सुनाई गई है। देहरादून के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश धरम सिंह ने नारी निकेतन में झाड़ू लगाने का काम करने वाले मुख्य आरोपी गुरुदास को सात साल के कारावास की सजा देने के अलावा 10 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया।
गुरुदास को पीड़िता के साथ दुष्कर्म करने का दोषी ठहराया गया है। सजा का ऐलान करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि, जुर्माना भरने में विफल रहने पर गुरुदास को 30 दिन का अतिरिक्त कारावास भुगतना पडेगा। मुख्य आरोपी गुरुदास के अलावा, नारी निकेतन की तत्कालीन अधीक्षिका मीनाक्षी पोखरियाल समेत आठ अन्य आरोपियों को भी दो से लेकर पांच साल तक के कारावास की सजा सुनाई गई है।
अभिरक्षा में पीड़िता के यौन उत्पीड़न के दोषी होमगार्ड ललित बिष्ट और केयर टेकर मोहम्मद हाशिम को पांच साल के कारावास की सजा के अलावा उस पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना भी ठोंका गया है। नारी निकेतन के स्टाफ चंद्रकला छेत्री, किरण नौटियाल, अनीता मंदोला और शमा निगार को साजिश रचने के लिए चार-चार साल के कारावास की सजा दी गई है।
मोदी जी की सरकार का मोटर व्हीकल एक्ट 3 साल सजा जुर्माना/चालान 23-35-59-98 हजार।
– बिना लाइसेंस ड्राइविंग: 1000 रुपए से बढ़ाकर 5 हजार रुपए
– शराब पीकर चलाना (Drink and Drive) : 2 हजार से बढ़ाकर 10 हजार रुपए
– ओवर स्पीड या रेस लगाना (Over speed) : 500 से बढ़ाकर 5 हजार रुपए
– बिना परमिट का वाहन : 5 हजार से बढ़ाकर 10 हजार रुपए
– सीट बेल्ट : 100 से बढ़ाकर 1 हजार रुपए
– बिना इंश्योरेंस ड्राइविंग (Vehicle Insurance) : 1000 से बढ़ाकर 2 हजार रुपए
– ओवर साइज व्हीकल : 5 हजार रुपए
– इमरजेंसी वाहनों को जगह न देना : 10 हजार रुपए– नाबालिगों के अपराध : 25 हजार रुपए के साथ 3 साल की सजा (अभिभावक को)
तो 2015 के देहरादून के ब्लात्कार गर्भपात मामले में 2019 में सजा और जुर्माना। इससे ज्यादा समय भी लगता है अदालतों में। बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर मामला ही देख लें। परन्तु आपके पास गाड़ी के कागज न हों तो आपको तुरंत के तुरंत सजा।
क्या है जघन्य अपराध व सामाजिक अपराध-
जघन्य अपराध (ब्लात्कार, लूट,हत्या) और सामाजिक अपराध में बड़ा अंतर है। फिर ये कैसा नियम। जघन्य अपराध में कढ़ी सजा होनी चाहिए। जबकि सामाजिक अपराध में अदालत भी 100-500 का जुर्माना लगा कर जुवा खेलने वालों, ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों को छोड़ती रही है। परन्तु आज की ये समझदार, पढ़ी-लिखी, अर्थशास्त्रियों, बुद्धिजीवियों की सरकार तो लगता है सामाजिक अपराध को जघन्य अपराध से ज्यादा गम्भीर मानती है। यहां तक कि तड़ीपार में भी मजिस्ट्रेट जिला बदर या राज्य बदर (जिले या राज्य से बाहर) ही करता है।