अनुच्छेद 370 पर उत्तराखण्ड कांग्रेस ने साधी चुप्पी
देहरादून। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को समाप्त करने का अहम फैसला उत्तराखंड कांग्रेस के लिए मानो जैसे गले की फांस बन गया हो। संसद से विधेयक पारित होने और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद भी कांग्रेस तय नहीं कर पा रही है कि इस मसले पर क्या स्टैंड लिया जाए। पार्टी के लिए चिंता का सबब यह है कि नेतृत्व की ओर से इस संबंध में कुछ भी स्पष्ट न किए जाने के कारण वरिष्ठ नेता किसी तरह की प्रतिक्रिया देने से कतरा रहे हैं तो कई कांग्रेस नेता केंद्र सरकार के अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले के पक्ष में खुलकर भी आ गए हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी के पुत्र और पिछला विधानसभा चुनाव कांग्रेस टिकट पर लड़े मनीष खंडूड़ी के अलावा प्रदेश के पूर्व मंत्री राजेंद्र भंडारी ने केंद्र के फैसले को सही ठहराया है। अनुच्छेद 370 हटाए जाने से केंद्र के फैसले का हालांकि संसद के दोनों सदनों में कांग्रेस ने विरोध किया। लेकिन संसद के बाहर कई बड़े नेता पार्टी लाइन से अलग अपनी बात रख चुके हैं। अब ऐसा ही कुछ उत्तराखंड में भी होता नजर आ रहा है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने दो दिन पूर्व इस मसले पर राज्यसभा में गुलाम नबी आजाद के स्टैंड को पार्टी का स्टैंड मानने से इन्कार करते हुए कहा था कि, विधेयक का मसौदा देखे-समझे बगैर इस मामले में वह टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे।
जागरण से बातचीत में उन्होंने फिर यही बात दोहराई। प्रीतम ने कहा कि, पार्टी का स्टैंड अभी नहीं आया है, लेकिन कांग्रेस की परंपरा रही है कि, वह सदैव देशहित के मुद्दों के पक्ष में खड़ी होती है। राष्ट्रहित में जो भी निर्णय लिया जाएगा, कांग्रेस उसके साथ खड़ी रहेगी। कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर अब कई कांग्रेस नेता खुलकर इसकी पैरवी में उतर आए हैं। गोपेश्वर में मीडिया से बातचीत में पौड़ी लोकसभा सीट से पिछला चुनाव लड़ने वाले कांग्रेस प्रत्याशी ने केंद्र सरकार के जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का समर्थन किया। साथ ही कहा कि, सरकार की मंशा सही है, लेकिन इसे लागू करने का तरीका भी सही होना चाहिए।
खंडूड़ी ने बातचीत को जारी रखते हुए कहा कि, वह फौजी के बेटे हैं और इस अनुच्छेद के दुष्प्रभावों को भली भांति जानते हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र भंडारी ने भी अनुच्छेद 370 हटाने का समर्थन करते हुए कहा कि, यह जरूरी था। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि, भाजपा इस अनुच्छेद को इसीलिए हटा पाई क्योंकि, पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इसकी गुंजाइश रखी थी।
आपको बता दें कि, अपने राजनैतिक पैंतरों व बयानों के लिए पहचाने जाने वाले वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अनुच्छेद 370 हटाए जाने के केंद्र के फैसले पर पूरी तरह खामोशी ओढ़े हुए हैं। रावत सोशल मीडिया पर भी खासे सक्रिय रहते हैं। लेकिन इस मसले पर उन्होंने किसी तरह की टिप्पणी अब तक सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर नहीं की है। दिलचस्पी का विषय यह है कि, सैनिक बहुल उत्तराखंड में कांग्रेस की परेशानी बढ़ने का यह दूसरा मौका है। इससे पहले लोकसभा चुनाव के मौके पर कांग्रेस के घोषणापत्र में आफसा कानून व सेडिशन एक्ट को हटाने के बिंदु शामिल होने से प्रदेश में पार्टी ने इस पर चुप्पी साधे रखना ही बेहतर समझा था। वहीं, भाजपा ने कांग्रेस को इस मसले पर पूरी तरह कठघरे में खड़ा कर दिया था।