आओ बदले अपनी दिनचर्या (जीवनयात्रा)

healthy foods
वैध ऋजु कुमार। अपने दैनिक जीवन मे अनेक ऐसी आदतों के शिकार होते है कि उन्हें बदल पाना बड़ा मुश्किल होता है।और इन आदतों के कारण जीवन भर अनेक समस्याओं मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। अनेक बार इन आदतों के कारण लोगो के बीच चर्चित हो जाते है और अनेक लोग आपकी इन आदतों अदाओ के दीवाने भी बन जाते है। यानी आदते अच्छी और बुरी दोनों तरह की होती है, और यश-अपयश दोनों ही स्थितियां पैदा करती है ।
इन्ही आदतों में सबसे महत्वपूर्ण है भोजन की आदत।
.जो लोग भोजन के मामले में बहुत ज्यादा चूजी होते है वे आजीवन सुखानुभूति , दुखानुभूति के चक्कर मे उलझे रहते है और यही आदत उन्हें अनेक रोगों से जकड़ देती है जिसमे सबसे प्रथम और महत्वपूर्ण है कब्जियत
जिसके कारण आज अनेक व्यक्ति बवासीर, केंसर, मधुमेह ,ह्रदय रोग , चर्म रोग, लिवर डिसऑर्डर जैसे स्थाई या गम्भीर रोगों के शिकार हो चुके है ।
life style.आयुर्वेद अनुसार कटु(कड़वा), मृदु(मीठा), तिक्त( तीखा), नमकीन, खट्टा, कसैला ये स्वाद है और इनका भोजन में समावेश होना जरूरी है। पीने का पानी हमारे जीवन मे महत्वपूर्ण है किंतु यही पानी एसिडिक होकर रोगों का कारण बन रहा है और यही पानी क्षारीय बनकर रोगों से मुक्ति का मार्ग भी बन रहा है। जल का पी एच लेबल 7 आदर्श माना जाता है 7 से कम वाला जल अम्लीय और 7 से ऊपर वाला क्षारीय जल होता है ।
यानी जल के सेवन में सावधानी जरूरी है और रोगों से मुक्ति हेतु आवश्यक है हम इसका आदर्श लेबल शरीर मे बनाये रखे।
हम पाश्चात्य सभ्यता की दौड़ में अनेक आदतों के शिकार बन चुके है जैसे विभिन्न कंपनियों की पानी की बोतल। किन्तु यह बोतलबंद पानी हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक या हानिकारक है हम जान नही पाते। आजकल अनेक अध्ययनों में सिद्ध हो चुका है कि प्लास्टिक का बोतलबंद पानी हानिकारक है विशेष  रूप से भारत जैसे उष्ण क्षेत्र में। क्योकि यहाँ का तापक्रम गर्मी में 40 से 50 डिग्री तक रहता है और प्लास्टिक अनेक प्रकार के कैंसर का कारक है। साथ ही जीरो लेबल का आर ओ वाटर भी नुकसान ही करेगा उसमे आवश्यक मिनरल का होना( 7 पी एच से अधिक लेबल होना ) जरूरी है।
इसी प्रकार हम भोजन की बात करे?
sugar pateint
मधुमेह जैसे रोग का मीठे से सीधा सम्बन्ध है और हम बचपन से ही मीठे के आदि हो जाते है ।प्रकृति ने अनेक फल के माद्यम से भरपूर मीठा स्वाद हमे प्रदान किया किन्तु हम केमिकल से निर्मित शुगर के शिकार हो चुके है ।अनेक फल आज भी ऐसे है जिनका सेवन मधुमेह रोगी नियमित रुप से कर स्वस्थ रह सकते है।
दूध वाली मीठी चाय या सादी चाय नुकसान करती है तो वही ब्लेक टी याने चाय की पत्ती, अदरक और तुलसी के पत्ते निम्बू की चाय मधुमहे रोगियों के लिए लाभदायक है ।
.आप आश्चर्य करेगे की जो व्यक्ति साइकल चलाते है वे मधुमेह, ह्रदय रोग, केंसर जैसे अनेक रोगों से मुक्त रहते है ।
हम तब सम्हलते है जब रोगों के शिकार हो जाते है और यह मॉनव प्रवर्ति भी है ।किंतु जरा सोचिए ।
हम अपनी अगली जनरेशन याने बच्चो को किस प्रकार तैयार कर रहे है क्या हम उनमे रोगों से लड़ने वाली प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर रहे है यदि नही तो आज से ही सावधान हो जाये ।हम एक ऐसे भविष्य का निर्माण कर रहे है जो हमेशा अस्वस्थ रहकर दुखी जीवन का हिस्सा बन जायेगा ।
बच्चो के मामले में
(1) टाइम पास और अपनी सुविधा हेतु मोबाइल और टी वी और ऐसे अनेक संसाधनों का आदि बना रहे है ।
(2) ज्यादा लाड़ प्यार में पसन्द के भोजन ( चाइनीज फ़ूड, पिज्जा, पैक्ड फ़ूड ) और आरामतलब जिंदगी का आदि बना रहे है ।
.उक्त दोनों ही गलतियां यदि हम कर रहे है तो निश्चित हो बड़ी भूल कर रहे है ।क्योंकि रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित किये बगैर किंतने भी बुद्धिमान बच्चे की कल्पना करे जीवन नरक के समान ही रहेगा ।
जीवन यात्रा का लेखन जांरी है ।