कुम्भ में पहुंचे 25 सालो से खड़े और मौन हठयोग धारण किये खड़ेश्वरी महाराज, बने आकर्षण का केंद्र
रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
धर्मनगरी हरिद्वार महाकुंभ के अलग ही रंग में रंग चुकी है। देशभर से बड़ी संख्या में साधु संत विश्व के अनूठे समागम में पहुँच गए है, अपने अलग ही अंदाज, कद काठी और हठयोग के कारण ये साधु संत हर किसी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहे है। ऐसे ही एक हठयोगी संत है खड़ेश्वरी महाराज जो 25 साल से न केवल दोनो पैरों पर खड़े है, बल्कि मौन भी है। 25 सालो से आज तक ये खड़ेश्वरी महाराज खाने पीने और सोने से लेकर सभी क्रियाएं खड़े होकर ही करते आ रहे है। वैसे तो खड़ेश्वरी महाराज का मूल नाम विद्या गिरी महाराज है। लेकिन अपने इस हठयोग के कारण खड़ेश्वरी महाराज के नाम से विख्यात हो गए।
खड़ेश्वरी महाराज ने हरिद्वार महाकुंभ मेले की शुरुआत में ही बैरागी कैम्प स्थित शिव मंदिर के पास अपनी कुटिया बनाई है और इसी कुटिया में ये दिन रात केवल खड़े ही रहते है। खड़ेश्वरी महाराज किसी से बात नही करते, केवल इशारों में ही बात करते है। खड़ेश्वरी महाराज के सहयोगी संत सिद्धबली हनुमान नर्मदेश्वर मंदिर के पीठाधीश्वर आलोक गिरी महाराज बताते है कि, मानव जाति के कल्याण के लिए ही इन्होंने ये हठयोग शुरू किया है और जब तक इनकी इच्छाएं पूरी नही होती तब तक ये इस हठयोग को अपनाये रहेंगे।
बता दें कि, देश में कुंभ चार स्थानों पर लगता है। 25 साल से जहां पर भी कुंभ का आयोजन हुआ है, खड़ेश्वरी महाराज वहां जरूर जाते वैसे सामान्य दिनों में दिल्ली में यमुना नदी के किनारे करोलबाग में निवास करते है। हरिद्वार कुंभ में खड़ेश्वरी महाराज लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है और लोग ही भारी संख्या में उनके दर्शन करने के पहुंच रहे है।