अतिक्रमण का शिकार हुआ तीर्थ स्थल झेल रहा बदहाली की मार। श्रद्धालु बोले सौन्दर्यकरण करदो सरकार
रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। धर्मनगरी में स्थित महाभारत काल से जुड़ा पौराणिक तीर्थ स्थल भीम कुंड रखरखाव के अभाव में वीरान पड़ा है। सरकार और प्रशासन की अनदेखी से महाभारत कालीन भीम कुंड में आस-पास से इकट्ठा हुए सीवर का पानी भरा है। इसके पानी में बदबू आ रही है। अंग्रेजों के जमाने मे बनाई गई सुरंग द्वारा यहाँ गंगा का पानी पहुँचाया गया। लेकिन अतिक्रमण के कारण सुरंग भी बंद हो गई। फ़िलहाल भीमकुंड में सीवरयुक्त पानी की रोकथाम की कोई व्यवस्था तक भी नही है। वही पर्यटन मंत्री भी बजट का रोना रोकर जल्द ही इसके सौन्दर्यीयकरण का आश्वासन दे रहे है। हरिद्वार के भीमगोडा स्थित भीमकुण्ड का पौराणिक इतिहास है। कहा जाता है कि, महाभारत के युद्ध के बाद पांडव हरिद्वार आये थे। यहाँ आकर उन्हें अपने ही भाइयों कौरवों के संहार के बाद ग्लानि हुई।
अपने भाइयों को आत्मशांति और आत्म ग्लानि से निजात के लिए पांडव यहाँ भगवान शिव की तपस्या कर रहे थे कि, इसी बीच माता कुंती को बहुत प्यास लगी, उनकी प्यास बुझाने के लिए भीम ने अपना गुठना जमीन में मारा और उसमें से निकली पानी की धारा से माता कुंती ने अपनी प्यास बुझाई। तब से ही इस स्थान को भीमगोडा और जहाँ ये पानी निकला उसे भीमकुण्ड के नाम से जाना जाने लगा। यहां स्थित शिवलिंग भी पांच हजार साल पुराना है। जिसे भीम ने स्वयं स्थापित किया था। स्थानीय लोग बताते है कि, कुछ साल पहले तक यहाँ साफ पानी भरा होता था, जिसमे सिक्का भी साफ चमकता था। यहां पर ये साफ पानी अंग्रेजो द्वारा बनाई गई एक सुरंग के जरिए लाया गया था। जो लोगो के अतिक्रमण का शिकार होकर बंद हो गई। अभी कुछ साल पहले तक गंगा स्नान के बाद मुक्ति के लिए श्रद्धालु भीमकुण्ड में स्नान जरूर करते थे, लेकिन अब तो बस यहाँ सीवर और आस-पास की नालियों से रिस रिसकार गंदा पानी ही भरा रहता है और प्रशासन की अनदेखी के शिकार हुए कुंड का दर्शन करने भी कुछ श्रद्धालु ही यहाँ आते है।
स्थानीय लोग इस कुंड के जीर्णोद्धार के लिए कई बार प्रयास कर चुके है स्थानीय पार्षद भी इसके लिए एचआरडीए दफ्तर के बाहर धरना दे चुके है। लेकिन प्रशासन के कानों पर जूं तक नही रेंगी। पार्षद कैलाश भट्ट का कहना है कि, अभी हाल ही में एचआरडीए द्वारा इसके जीर्णोद्धार के लिए कवायद शुरू की गई थी, एचआरडीए के अधिकारियों द्वारा इसका मौका मुआयना किया जा चुका है। लेकिन इतने महीने बीत जाने के बावजूद यहाँ कोई काम शुरू नही हो पाया है। सरकार और स्थानीय मंत्री इसकी सुध नही लेते।
पर्यटन विभाग की ओर से भीम कुंड को महाभारत सर्किट से भी जोड़ा गया है। परंतु अब तक उचित प्रबंधन नहीं होने से वह लावारिस स्थिति में है। कुंभ तथा अर्द्धकुंभ में इस कुंड के रखरखाव के नाम पर लाखों रुपये की योजना बनाकर ठिकाने लगाई जाती रही है। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज भी इसी बात को दोहरा रहे है कि, इसके सौन्दर्यकरण के लिए उन्होंने महाभारत सर्किट को प्रस्ताव भेजा है। जब बजट स्वीकृत होगा तब इसका सौन्दर्यकरण का काम भी शुरू हो जाएगा। उनका ये भी कहना है कि, भीमकुण्ड महाभारत काल से जुड़ा पौराणिक तीर्थ स्थल है और महाभारत सर्किट में भी दर्ज है। इसके सौन्दर्यकरण के लिए प्रयास जारी है।
धर्मनगरी स्थित इस पौराणिक तीर्थ स्थल के लिए आमजन भी उतने ही जिम्मेदार है जितना कि शासन और प्रशासन। यदि अंग्रेजो द्वारा बनाई गई सुरंग लोगो के अतिक्रमण का शिकार न होती तो आज ये पौरणिक स्थल अपने वास्तविक स्वरुप में होता। वही इन सब के बावजूद शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली भी स्थानीय जनता के सवालो के घेरे में है।