गड़बड़झाला: सरकारी जमीन मामले में कई परतें खुलना बाकी। श्रेणी “ख” भूमि को कर डाला श्रेणी ”क” में तब्दील

सरकारी जमीन मामले में कई परतें खुलना बाकी। श्रेणी “ख” भूमि को कर डाला श्रेणी ”क” में तब्दील

रिपोर्ट- मनोज नौडियाल
कोटद्वार। उप जिलाधिकारी व तहसीलदार द्वारा श्रेणी “ख” जमीन को श्रेणी”क” मे अपने स्तर से ही कर दिया था तब्दील। रजिस्ट्रार ने भी आंख मूंद कर दी रजिस्ट्री।
वर्तमान रजिस्ट्रार ने इस मामले मे कुछ भी बताने मे जताई असमर्थता। उच्चाधिकारियों पर छोडा मामला। रजिस्ट्री धारकों के पैरोकारों ने वार्ड पार्षद पर जमीन को खुर्द-बुर्द करने व साम्प्रदायिकता फैलाने की साजिश का मढा़ आरोप

मामला कोटद्वार के नगर निगम व वार्ड नंबर 4 गिवंई स्त्रोत के खोह नदी तट पर स्थित आयुर्वेदिक फार्मेसी औद्योगिक उत्पादन सहकारी समिति लिमिटेड की जमीन का है। जिसे समिति के जिम्मेदार पदाधिकारियों ने ओने-पौने दाम में कुछ रिखणीखाल और उसके आस-पास के लोगों को गलफत मे रख बेच कर सरकार को भारी चुना लगाया है। बताते चलें कि, उत्तराखंड सरकार द्वारा जिला प्रशासन की ओर से कोटद्वार की आयुर्वेदिक फार्मेसी औद्योगिक उत्पादन सहकारी समिति लिमिटेड को खसरा संख्या 173/1 मे 0.6150 हेक्टेयर जमीन 2006 में आवंटित की थी। लेकिन इस जमीन पर औद्योगिक उत्पादन के नाम पर मात्र दिखावा किया गया, जिस जमीन पर औद्योगिक जड़ी बूटी का उत्पादन होना था जहां पर समिति के पदाधिकारियों ने मिलकर जमीन की औद्योगिक खरीद-फरोख्त कर मोटा मुनाफा कमाया।

जमीनों की खरीद फरोख्त का मामला 2010 से शुरू हुआ, जब समिति के पदाधिकारियों ने 2010 में सहकारी समिति की जमीन को टुकड़ों में बेचना शुरू कर दिया। 2010 से 11 के बीच में समिति ने 7 से 10 लोगों को जमीन बेच डाली। समिति के पदाधिकारी के साथ हमसाज बना तहसील प्रशासन। जिसने श्रेणी “ख” की जमीन को श्रेणी “क” में बदलकर खरीदारों के साथ धोखाधड़ी कर मुगालते मे रखा। यही नहीं समिति के पदाधिकारीयों ने तहसील प्रशासन के साथ मिलकर 2010- 11 मे खरीदारों के नाम जमीन की रजिस्ट्री कर दी फिर समिति के पदाधिकारियों ने तहसील प्रशासन के साथ हंमसाज होकर 2019 में दाखिल खारिज तक करवा दिया। मामला प्रकाश में आया जब इस जमीन को कुछ लोगों ने सरकारी पट्टे के नाम पर कुछ गरीब परिवारों को बेच दिया।

10 साल से रह रहे गरीब परिवारों तब झटका लगा जब जमीन की रजिस्ट्री धारक मौके पर पहुंचे और उन्होंने उस जगह पर कुछ अन्य लोगों घर बनाए देखा तब उन लोगों द्वारा जमीन पर बसे लोगों को बताया कि उक्त जमीन की रजिस्ट्री उनके नाम है। उन्होंने बताया कि उन्होंने यह जमीन खरीदी है। मौके पर बसे परिवारों ने भी कहा कि उन्होने भी उक्त जमीन स्टाम्प पर खरीदी हुई है। इससे जमीन की रजिस्ट्री धारक बौखला गए और उन्होंने मौके पर बसे लोगों के साथ गाली गलौज, जान से मारने की धमकी दी। तथा उनकी झोपड़ियों, मकानों, चारदीवारी व बुनियाद तक तोड़ डाली थी।

पीडित परिवारों का कहना है कि, उन्होंने जमीन प्रॉपर्टी के मालिकों से ही ली है। अगर वहां से हटते हैं तो कहां जाएंगे। उन्होंने उक्त जमीन कर्ज लेकर 50 हजार से चार लाख तक में खरीदी है। वही रजिस्ट्री धारकों के पैरोकारों जी एस बिष्ट और दिनेश रावत ने वार्ड पार्षद और उसके सहयोगी पार्षद पर गैरकानूनी तरीक़े से मुस्लिम समाज के लोगों को जमीन बेचने और मस्जिद निर्माण के लिए भूमि दिलाने और लोगों को बसाने का आरोप लगाते हुए सोमवार को वार्ड पार्षद के खिलाफ पुलिस मे तहरीर देते हुए इसकी शिकायत मुख्यमंत्री उत्तराखंड, राजस्व मंत्री उत्तराखंड, जिलाधिकारी पौडी सहित उपजिलाधिकारी कोटद्वार को भी शिकायत की प्रति दी है।

रजिस्ट्रार कोटद्वार से “ख” श्रेणी की भूमि को श्रेणी”क” मे बदलकर अन्य के नाम रजिस्टर करने तथा सहकारी समिति द्वारा आवंटित भूमि को बेचने के अधिकार के सम्बंध मे जानना चाहा तो इस संबंध मे बताने से पल्ला झाडते हुए अपने उच्चाधिकारियों पर जिम्मेदारी डाल दी। बहुत मान मनोवल करने के बाद अपने अधिकार क्षेत्र का कानूनी पन्ना दिखा दिया जिसे पाठकों के लिए प्रकाशित किया जा रहा है। अभी इस खबर पर बहुत जानकारियां निकलकर आ रही हैं।