अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की सांठ-गांठ के चलते उत्तराखंड बना देश का भ्रष्टतम राज्य
– जनप्रतिनिधि/अधिकारियों के गठजोड़ से लगता है सरकार को राजस्व का चूना
देहरादून। सरकार द्वारा राज्य कर्मियों को हर साल संपत्ति का ब्यौरा देने संबंधी निर्देश दिए जाने की बात कही गई है तथा ऐसा न करने वालों के खिलाफ जांच की बात भी कही गई है। जो कि निश्चित तौर पर सराहनीय कदम है, लेकिन, इन राज्यकर्मियों के साथ-साथ प्रदेश के जनप्रतिनिधियों यथा जिला पंचायत/क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष, ग्राम प्रधान आदि जनप्रतिनिधियों को भी इस कानून के दायरे में लाया जाना चाहिए, जिससे पारदर्शिता बनी रहे। विधायकों आदि के मामले में पूर्व से ही व्यवस्था लागू है, लेकिन इसका कड़ाई से पालन कराए जाने की जरूरत है।
अवैध खनन/शराब/अवैध ठेकेदारी/निधियों का खेल बनता है प्रमुख जरिया
जनसंघर्ष मोर्चा अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने इस मामले में सवाल खड़े करते हुए कहा कि, जनप्रतिनिधियों के मामले में (5-10 फ़ीसदी को छोड़कर) अधिकांश जनप्रतिनिधि स्वयं अथवा अपने गुर्गों के माध्यम से अवैध खनन/शराब/ निधियों की बंदरबांट एवं अवैध रूप से अधिकारियों से सांठ-गांठ कर ठेके हासिल कर लेते हैं तथा देखते-देखते 2-4 वर्षों में करोड़ों-अरबों का साम्राज्य स्थापित कर लेते हैं। इन सब अवैध कारोबार के चलते जनप्रतिनिधि जनता के काम में दिलचस्पी नहीं लेते तथा जनता को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती है। नेगी ने कहा कि अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों की सांठ-गांठ के चलते प्रदेश आज देश का भ्रष्टतम राज्य बन गया है।