बिग ब्रेकिंग: उत्तराखंड में अतिक्रमण पर हाईकोर्ट सख्त, जिओ-मैपिंग पर मांगी सरकार से रिपोर्ट

उत्तराखंड में अतिक्रमण पर हाईकोर्ट सख्त, जिओ-मैपिंग पर मांगी सरकार से रिपोर्ट

नैनीताल। उत्तराखण्ड में सड़कों, नालों, सिंचाई, वन भूमि, राष्ट्रीय राजमार्गों, नगर पंचायत, नगर पालिका एवं नगर निगम की भूमि पर हुए अतिक्रमण के मामलों को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है।

मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र एवं न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए राज्य सरकार के सचिव सिंचाई, सचिव लोक निर्माण, सचिव वन एवं गृह सचिव से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा है कि सरकारी भूमि पर हुए अतिक्रमण की पहचान के लिए जिओ-मैपिंग किस प्रकार की जा सकती है। कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि इस संबंध में रिपोर्ट 8 जनवरी से पूर्व प्रस्तुत की जाए। मामले की अगली सुनवाई 8 जनवरी को होगी।

पदमपुरी क्षेत्र से जुड़ा है मामला

यह प्रकरण नैनीताल के पदमपुरी क्षेत्र में वन विभाग की भूमि और सड़क किनारे हुए अतिक्रमण से संबंधित है।
दिल्ली निवासी एक व्यक्ति द्वारा मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर इस विषय में शिकायत की गई थी, जिसे कोर्ट ने जनहित याचिका में परिवर्तित कर सुनवाई प्रारंभ की।

गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने 17 अक्टूबर 2023 को प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों और डीएफओ को अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए थे, लेकिन अब तक आदेश का पूर्ण अनुपालन नहीं किया गया है।

देवखड़ी नाले पर अतिक्रमण मामला भी सुर्खियों में

इसी दौरान हल्द्वानी के दमुवाढूंगा क्षेत्र स्थित देवखड़ी नाले पर अतिक्रमण के मामले की भी सुनवाई हुई। न्यायमित्र अधिवक्ता आदित्य प्रताप सिंह ने अदालत को अवगत कराया कि अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध कार्रवाई से पहले राज्य सरकार उन्हें सुनवाई के दो और अवसर देगी और सभी पक्षों को सुनने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।

बताया गया कि 26 दिसंबर को एक जनसुनवाई आयोजित की जा चुकी है, जिसमें 140 अतिक्रमणकारियों में से 102 लोगों ने अपना पक्ष रखा। कुछ अतिक्रमणकारियों ने अपना दावा प्रस्तुत करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की है, जिसके चलते दो और जनसुनवाई कराए जाने का प्रस्ताव रखा गया है।

7 जनवरी को होगी अगली सुनवाई

देवखड़ी नाले के अतिक्रमण मामले में अदालत ने अगली सुनवाई की तिथि 7 जनवरी निर्धारित की है। यह जनहित याचिका सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत गौनिया के पत्र पर संज्ञान लेते हुए दाखिल की गई थी।

याचिका में कहा गया है कि तीन पानी से काठगोदाम तक सड़क चौड़ीकरण प्रस्तावित है, लेकिन देवखड़ी नाले पर अतिक्रमण के चलते यह कार्य प्रभावित हो रहा है।

साथ ही आरोप लगाया गया है कि कुछ व्यावसायिक संस्थानों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से अतिक्रमण को संरक्षण दिया गया है।