केदारनाथ में दिसंबर के अंत तक नहीं गिरी बर्फ, बर्फ विहीन पहाड़ों ने बढ़ाई चिंता
रुद्रप्रयाग। दिसंबर माह समाप्ति की ओर है, लेकिन अभी तक केदारनाथ धाम और आसपास की पहाड़ियों पर बर्फबारी नहीं हुई है। पिछले वर्षों में इस समय तक केदारपुरी और आसपास के क्षेत्र में पांच फीट से अधिक बर्फ जमी रहती थी, लेकिन इस बार न धाम में और न ही ऊंची पहाड़ियों पर बर्फ नजर आ रही है।
सूखी पहाड़ियां, जमे तालाब
आमतौर पर दिसंबर में केदारनाथ धाम चारों ओर से बर्फ से ढका रहता है, लेकिन इस बार हालात बिल्कुल अलग हैं। धाम में ठंड का प्रकोप तो बढ़ गया है, लेकिन बर्फबारी न होने से पहाड़ियां सूखी दिखाई दे रही हैं। तालाब जम चुके हैं, जबकि जिन पहाड़ियों से कुछ दिन पहले तक झरनों की तरह पानी बहता था, वहां अब सूखापन नजर आ रहा है।
ठंड बढ़ने से निर्माण कार्य प्रभावित
बर्फबारी न होने के बावजूद केदारनाथ में कोरी ठंड ने निर्माण कार्यों को प्रभावित करना शुरू कर दिया है। रात के समय तापमान माइनस 10 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है, जबकि सुबह धूप देर से निकलने के कारण काम करना मुश्किल हो गया है।
वर्तमान में धाम में करीब 80 से 100 मजदूर ही मौजूद हैं, जो पाइपलाइन बिछाने और 2013 आपदा में क्षतिग्रस्त रामबाड़ा–केदारनाथ पुराने पैदल मार्ग पर कार्य कर रहे हैं। अत्यधिक ठंड के कारण सीमेंट से जुड़े कार्य पूरी तरह बंद हैं और मजदूर धीरे-धीरे सोनप्रयाग की ओर लौटने लगे हैं।
अधिशासी अभियंता का बयान
लोक निर्माण विभाग गुप्तकाशी के अधिशासी अभियंता राजविंद सिंह ने बताया कि केदारनाथ धाम में बर्फबारी नहीं होने के बावजूद ठंड का प्रकोप काफी बढ़ गया है। धूप सीमित समय के लिए निकल रही है, जिससे निर्माण कार्य प्रभावित हो रहे हैं और मजदूरों को नीचे लौटना पड़ रहा है।
पर्यावरणविदों ने जताई चिंता
केदारनाथ में बर्फबारी न होने को लेकर पर्यावरण विशेषज्ञों ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। प्रसिद्ध पर्यावरणविद जगत सिंह जंगली ने कहा कि दिसंबर समाप्त होने के बावजूद धाम में बर्फ न गिरना हिमालय के लिए खतरे का संकेत है। बर्फ विहीन पहाड़ियां भविष्य में गंभीर परिणाम ला सकती हैं।
उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों में अंधाधुंध निर्माण कार्य और पर्यावरणीय असंतुलन के कारण ऐसी स्थिति बन रही है, जिस पर सरकार और पर्यावरण मंत्रालय को गंभीरता से ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

