बिग ब्रेकिंग: वन भूमि अतिक्रमण पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती, उत्तराखंड सरकार ने बनाई 5 सदस्यीय जांच समिति

वन भूमि अतिक्रमण पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती, उत्तराखंड सरकार ने बनाई 5 सदस्यीय जांच समिति

देहरादून। उत्तराखंड में वन भूमि पर हो रहे अतिक्रमण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी के बाद राज्य सरकार हरकत में आ गई है। शासन ने ऋषिकेश क्षेत्र से जुड़े एक बड़े भूमि प्रकरण की जांच के लिए पांच सदस्यीय समिति का गठन कर दिया है।

समिति को 15 दिनों के भीतर विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर शासन को सौंपनी होगी, जिसे सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भी प्रस्तुत किया जाएगा।

दरअसल, मामला ऋषिकेश क्षेत्र की करीब 2866 एकड़ भूमि से जुड़ा है, जिसे 26 मई 1950 को 99 वर्षों की लीज पर पशु लोक सेवा मंडल संस्थान को आवंटित किया गया था। यह लीज वर्ष 2049 तक वैध है।

लीज की शर्तों के अनुसार भूमि का उपयोग पशुपालन, उद्यान, चारा उत्पादन और अन्य निर्धारित कार्यों के लिए किया जाना था।

हालांकि, समय के साथ यह तथ्य सामने आया कि लीज पर दी गई वन भूमि का उपयोग तय उद्देश्यों के बजाय अन्य व्यावसायिक गतिविधियों में किया गया। साथ ही भूमि को कथित तौर पर सब-लीज पर देने के भी गंभीर आरोप सामने आए हैं।

इन्हीं तथ्यों को संज्ञान में लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार पर सख्त टिप्पणी करते हुए वन भूमि पर हो रहे अवैध कब्जों की गहन जांच के निर्देश दिए थे।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद शासन ने औपचारिक रूप से पांच सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है। समिति की अध्यक्षता मुख्य वन संरक्षक (गढ़वाल) धीरज पांडे करेंगे।

समिति में सीएफ शिवालिक, डीएफओ देहरादून, अपर जिलाधिकारी (वित्त) और एसडीएम ऋषिकेश को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है।

जांच समिति आधुनिक तकनीक का सहारा लेते हुए गूगल मैप के माध्यम से भूमि की मौजूदा स्थिति का अध्ययन करेगी। साथ ही लीज से जुड़े सभी दस्तावेजों, रिकॉर्ड्स और शर्तों की गहन जांच की जाएगी।

इसके अलावा समिति द्वारा संबंधित भूमि का स्थलीय निरीक्षण (साइट विजिट) भी किया जाएगा, ताकि धरातल पर वास्तविक स्थिति का आकलन किया जा सके।

जांच के दौरान यह अहम सवाल भी उठेगा कि यदि वर्षों से लीज की शर्तों का उल्लंघन हो रहा था, तो संबंधित विभागों और अधिकारियों ने समय रहते कार्रवाई क्यों नहीं की। समिति की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई तय की जाएगी।