बड़ी खबर: हरिद्वार में धार्मिक आस्था पर टकराव। क्रिसमस कार्यक्रम रद्द, मंदिर कार्रवाई पर विरोध

हरिद्वार में धार्मिक आस्था पर टकराव। क्रिसमस कार्यक्रम रद्द, मंदिर कार्रवाई पर विरोध

हरिद्वार। धर्मनगरी हरिद्वार में धार्मिक आस्था और परंपराओं से जुड़े दो अलग-अलग मामलों को लेकर विरोध और आक्रोश देखने को मिला। एक ओर गंगा किनारे प्रस्तावित क्रिसमस कार्यक्रम का तीर्थ पुरोहितों ने कड़ा विरोध किया।

वहीं दूसरी ओर दिल्ली में पीर रतन नाथ मंदिर पर की गई कार्रवाई के विरोध में श्रद्धालुओं ने रोष मार्च निकालकर सरकार से मंदिर की जमीन वापस करने की मांग की।

गंगा किनारे प्रस्तावित क्रिसमस कार्यक्रम का विरोध, आयोजन रद्द

हरिद्वार में गंगा किनारे स्थित उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा संचालित होटल भगीरथ में 24 दिसंबर को प्रस्तावित ‘एक्सपीरियंस क्रिसमस’ कार्यक्रम का तीर्थ पुरोहितों ने कड़ा विरोध किया।

सोशल मीडिया पर कार्यक्रम का निमंत्रण पत्र वायरल होते ही तीर्थ पुरोहित उज्जवल पंडित ने इसे हिंदू विरोधी बताते हुए गंगा तट पर ऐसे आयोजन को अस्वीकार्य करार दिया।

उज्जवल पंडित ने चेतावनी दी कि यदि कार्यक्रम रद्द नहीं किया गया तो मौके पर उग्र विरोध किया जाएगा। उन्होंने जिला प्रशासन से भी ऐसे कार्यक्रम की अनुमति न देने की मांग की। बढ़ते विरोध और धार्मिक भावनाओं को देखते हुए आयोजकों ने अंततः कार्यक्रम रद्द कर दिया। होटल के मैनेजर कपिल धर्मवाल ने बताया कि धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए प्रबंधन ने कार्यक्रम को निरस्त किया है।

पीर रतन नाथ मंदिर कार्रवाई के खिलाफ रोष मार्च

दूसरी ओर, दिल्ली के झंडेवालान स्थित प्राचीन पीर रतन नाथ मंदिर परिसर पर 29 नवंबर को डीडीए द्वारा की गई ध्वस्तीकरण कार्रवाई के विरोध में हरिद्वार में संस्था से जुड़े श्रद्धालुओं ने रोष मार्च निकाला।

भीमगोड़ा स्थित आश्रम से सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय तक निकाली गई पदयात्रा के दौरान श्रद्धालुओं ने हरे राम के संकीर्तन के साथ केंद्र और दिल्ली सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया।

श्रद्धालुओं का आरोप है कि डीडीए ने मंदिर परिसर की तुलसी वाटिका, लंगर हॉल को ध्वस्त किया, बिजली-पानी और सीवर लाइन काट दी, जिससे मंदिर की व्यवस्थाएं प्रभावित हुईं और श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंची।

संस्था का दावा है कि वर्ष 1974 में डीडीए ने 3803 गज भूमि 100 वर्ष की लीज पर मंदिर समिति को दी थी, लेकिन अब अधिकांश भूमि पर कब्जा कर लिया गया है।

श्रद्धालुओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दिल्ली सरकार से मंदिर की भूमि वापस करने और मंदिर परिसर के पुनर्निर्माण की अनुमति देने की मांग की है।