जंगलों की आग पर हाईकोर्ट सख्त, प्रिंसिपल सेक्रेटरी फॉरेस्ट तलब
नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने फायर सीजन के दौरान प्रदेश के जंगलों में लगने वाली आग पर दायर कई जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को कड़े निर्देश जारी किए हैं।
न्यायालय ने पर्यावरणविद प्रोफेसर अजय रावत द्वारा दिए गए सुझावों को महत्वपूर्ण बताते हुए सरकार को उन पर तत्काल कार्रवाई करने को कहा। कोर्ट ने प्रिंसिपल सेक्रेटरी फॉरेस्ट को एक सप्ताह में पेश होने का आदेश दिया है।
प्रोफेसर अजय रावत ने दिए महत्वपूर्ण सुझाव
सुनवाई के दौरान पर्यावरणविद प्रो. अजय रावत कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश हुए और उत्तराखंड के जंगलों में लगातार बढ़ रही आग की घटनाओं पर चिंता व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि वनाग्नि से व्यापक स्तर पर पर्यावरण और जंगलों को नुकसान पहुँच रहा है और इसके लिए प्राथमिक स्तर पर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कोर्ट के सामने ये प्रमुख सुझाव रखे:
- वनों के पास रहने वाले ग्रामीणों को आग के प्रति शिक्षित और जागरूक किया जाए।
- वन विभाग व्यापक जागरूकता अभियान चलाए।
- कैंप फायर और बोन फायर को प्रतिबंधित किया जाए क्योंकि ये आग फैलने का प्रमुख कारण बनते हैं।
- कॉर्बेट पार्क के आसपास चल रहे 100 से अधिक रिसॉर्ट्स और कई होमस्टे पर्यटक मनोरंजन के लिए रोजाना बोन फायर कराते हैं, जो सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन है।
- वन विभाग के 300 से अधिक डाक बंगले वीरान पड़े हैं, जिनका उपयोग निगरानी और रोकथाम में किया जा सकता है।
कोर्ट ने राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए
कोर्ट द्वारा नियुक्त न्यायमित्र मैनाली ने बताया कि हाईकोर्ट 2021 से लगातार वनों में आग रोकने के निर्देश जारी कर रहा है, लेकिन राज्य सरकार ने अब तक ज़मीनी स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
न्यायमित्र ने कहा,
- यदि 2021 से जारी आदेशों का पालन किया गया होता, तो पिछले वर्षों में आग की घटनाएं इतनी न बढ़तीं।
- सरकार हर साल आश्वासन देती है, लेकिन आग पर नियंत्रण के लिए प्रभावी रणनीति विकसित नहीं कर पा रही।
खंडपीठ ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि राज्य को “फायर सीजन” में गंभीरता दिखाने की आवश्यकता है।
पहले भी हाईकोर्ट ने लिया था स्वतः संज्ञान
हाईकोर्ट ने 2021 में प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित जंगलों में आग की खबरों का स्वतः संज्ञान लिया था। इसी मामले में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने भी मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर आग पर नियंत्रण के लिए राज्य सरकार को दिशा-निर्देश जारी करने का आग्रह किया था।
कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को हर वर्ष मिलने वाले मार्गदर्शन और आदेशों के बावजूद “वनाग्नि रोकथाम” में सुधार दिखाई नहीं देता।
जंगलों की आग पर अब सख्त कार्रवाई की उम्मीद
कोर्ट के निर्देशों से यह साफ है कि हाईकोर्ट इस बार फायर सीजन में जंगलों को आग से बचाने को लेकर सख्त है।
आने वाले दिनों में सरकार को विस्तृत योजना पेश करनी होगी, पुराने आदेशों के अनुपालन की रिपोर्ट देनी होगी, और प्रो. अजय रावत के सुझावों पर अमल के लिए स्पष्ट रोडमैप बनाना होगा।


