प्रियंका मेहर के गाने से मचा बवाल। इधर नोटिस, उधर सवाल
देहरादून। उत्तराखंड की जानी-मानी लोकगायिका प्रियंका मेहर इन दिनों अपने हाल में रिलीज़ हुए गीत “स्वामी जी प्लीज़” को लेकर चर्चा में हैं। चमोली जिले के उर्गम क्षेत्र में प्रयुक्त गीत की एक पंक्ति “उर्गम का कासा मा, दगड़ियों संग नशा मा” स्थानीय ग्रामसभा और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के लिए आपत्ति का विषय बन गई है।
उर्गम क्षेत्र लंबे समय से धार्मिक और आध्यात्मिक पहचान रखता है, जहाँ पंच-बद्री के ध्यान बद्री और पंच-केदार के पवित्र कल्पेश्वर महादेव स्थित हैं। ग्रामीणों का मानना है कि गीत में “नशा” शब्द का उपयोग गाँव की छवि को गलत और अपमानजनक रूप में प्रस्तुत करता है।
इसी आधार पर 27 नवंबर 2025 को प्रियंका मेहर के नाम एक कानूनी नोटिस भेजा गया, जिसने सोशल मीडिया पर बहस और आरोप-प्रत्यारोप की आग और भड़का दी।
“उर्गम सिर्फ एक बस्ती नहीं, बल्कि धार्मिक विरासत का केंद्र है। कलाकारों की जिम्मेदारी होती है कि वे किसी भी समुदाय के पवित्र स्थान को गलत प्रकाश में न दिखाएँ। गीत की पंक्तियों से हमारी सांस्कृतिक गरिमा को ठेस पहुँची है। इसलिए हम चाहते हैं कि गीत हटाया जाए, सार्वजनिक माफी दी जाए और क्षतिपूर्ति भी की जाए।”– अनूप सिंह नेगी (ब्लॉक प्रमुख, जोशीमठ)
हालाँकि मामला तब नया मोड़ लेता है जब प्रियंका मेहर के पक्ष में मोनिका बिष्ट ने अपनी अधिवक्ता अर्पिता साहू के माध्यम से विस्तृत कानूनी प्रतिनोटिस भेजा।
प्रतिनोटिस में साफ कहा गया है कि प्रियंका गीत की लेखिका या रचनाकार नहीं हैं, बल्कि केवल गायिका हैं, और उन्हें विवादित शब्दों के लिए जिम्मेदार ठहराना न केवल कानूनी रूप से गलत है बल्कि चयनात्मक और दुर्भावनापूर्ण भी प्रतीत होता है।
प्रतिनोटिस के अनुसार, नोटिस भेजने वालों ने प्रियंका मेहर का निजी फोन नंबर और पता सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया, जिसके बाद उन्हें ट्रोलिंग, अभद्र कॉल और धमकियों का सामना करना पड़ा।
“अधिवक्ता सुरभि शाह ने यह राजनीतिक लाभ लेने और प्रशंसा बटोरने के लिए प्रियंका मेहर को नोटिस भेजा है, जो कानून का उल्लंघन है। सुरभि शाह द्वारा पूर्व में भी किसी महिला को बदनाम करने की साजिश रची गई थी। हम इसे किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं करते।”– मोनिका बिष्ट
इस पूरे विवाद के बीच एक और कानूनी मोड़ सामने आया है। अधिवक्ता अर्पिता साहू ने मोनिका बिष्ट की ओर से सुरभि शाह को भी अलग नोटिस भेजा, जिसमें आरोप लगाया गया कि सुरभि शाह ने सोशल मीडिया पर प्रियंका मेहर के बारे में भ्रामक और मानहानिकारक सामग्री पोस्ट की और विवाद को अनावश्यक रूप से बढ़ाया। इस नोटिस में भी सामग्री हटाने और सार्वजनिक माफी की मांग की गई है।
“मेरी किसी से भी पर्सनल दुश्मनी नहीं है। मैं एक अधिवक्ता हूँ। मेरे द्वारा वकालत की गई है। मैंने जो नोटिस भेजे, वे मेरे क्लाइंट के नाम से भेजे गए हैं। इसे यदि कोई पर्सनल दुश्मनी समझे, तो यह गलत है। मैं अपने पेशेवर कर्तव्यों का पालन कर रही हूँ।”– अधिवक्ता सुरभि शाह
इन सबके बीच सवाल यह है कि क्या गीत की पंक्तियों का संदर्भ गलत समझा गया या इसे राजनीतिक और सामाजिक संदर्भ में तूल दिया गया। उत्तराखंड के लोकगीतों में “नशा” शब्द अक्सर उत्साह, आनंद या भावावेश के अर्थ में प्रयुक्त होता है।
इस पंक्ति की व्याख्या संदर्भ से हटकर हुई या फिर यह विवाद स्थानीय राजनीति और सोशल मीडिया की उन्मादी प्रतिक्रिया का नतीजा है, यह बहस अब संगीत-जगत से लेकर स्थानीय समाज तक फैल चुकी है।
विवाद धीरे-धीरे कानूनी, सामाजिक और व्यक्तिगत जटिलताओं में बदल चुका है और अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या दोनों पक्ष किसी समाधान की ओर बढ़ेंगे या मामला लंबे समय तक कानूनी और सांस्कृतिक संघर्ष की दिशा में जाएगा।


