बड़ी खबर: उपनल कर्मियों को बड़ी सौगात। धामी सरकार ने माना वर्षों पुरानी मांग

उपनल कर्मियों को बड़ी सौगात। धामी सरकार ने माना वर्षों पुरानी मांग

देहरादून। लंबे समय से समान कार्य–समान वेतन की मांग कर रहे उत्तराखंड के उपनल कर्मियों के लिए आखिरकार वह बड़ी राहत सामने आ गई है, जिसका वे वर्षों से इंतज़ार कर रहे थे।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ देर रात तक चली विस्तृत वार्ता के बाद सरकार ने उपनल के माध्यम से विभिन्न विभागों में 12 वर्ष से अधिक समय से कार्यरत हजारों कर्मचारियों को न्यूनतम वेतनमान और महंगाई भत्ता प्रदान करने का ऐतिहासिक निर्णय ले लिया है।

वर्तमान में राज्य में लगभग 22 हजार उपनल कर्मी सेवाएँ दे रहे हैं, जिनमें से करीब आठ हजार ऐसे कर्मचारी बताए जा रहे हैं, जिन्होंने दस वर्ष से अधिक की सेवा पूरी की है।

सरकार के इस फैसले को कर्मचारियों ने बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा है, हालांकि शासनादेश की आधिकारिक प्रति जारी न होने के कारण उपनल कर्मियों का डेरा देर रात तक परेड ग्राउंड में जमा रहा।

उपनल कर्मचारी महासंघ ने फिलहाल हड़ताल को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया है, लेकिन संगठन ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि सोमवार तक शासनादेश जारी नहीं किया गया, तो आंदोलन एक बार फिर उग्र रूप ले सकता है।

कर्मचारियों का कहना है कि विश्वास पर काम को स्थगित किया गया है, लेकिन अंतिम निर्णय शासनादेश मिलने के बाद ही होगा। राज्यभर से बड़ी संख्या में कर्मचारी दून पहुंचे और देर रात तक जारी बैठकों और चर्चाओं पर नज़रें टिकी रहीं।

इस निर्णय के पीछे उच्च न्यायालय की भूमिका भी प्रमुख रही है। सचिव सैनिक कल्याण दीपेंद्र चौधरी द्वारा जारी शासनादेश में साफ़ कहा गया है कि यह निर्णय उच्च न्यायालय नैनीताल में दायर रिट याचिका संख्या 116/2018 में पारित आदेश के अनुपालन में लिया गया है।

इसी आदेश के आधार पर सरकार ने उन सभी उपनल कर्मियों को न्यूनतम वेतन और डीए देने का फैसला किया है, जिन्होंने 12 वर्ष या उससे अधिक की निरंतर सेवा पूरी कर ली है।

आदेश में यह भी उल्लेख किया गया है कि यह लाभ समान कार्य–समान वेतन के सिद्धांत के अनुरूप दिया जा रहा है, ताकि लंबे समय से चली आ रही असमानता को दूर किया जा सके।

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि 12 वर्ष से कम सेवा वाले उपनल कर्मियों के लिए भी न्यूनतम वेतनमान और महंगाई भत्ता देने की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी। विभागीय स्तर पर इस मुद्दे पर पहले ही सैद्धांतिक सहमति बन चुकी है और संबंधित विभाग अपने-अपने स्तर पर वेतन और डीए प्रदान करेंगे।

इससे आने वाले समय में हजारों कर्मचारियों को प्रत्यक्ष लाभ मिलने का अनुमान है, जो लंबे समय से अस्थिरता और कम वेतन की चुनौती से जूझ रहे थे।

मुख्यमंत्री आवास में हुई उच्च स्तरीय बैठक इस निर्णय का सबसे महत्वपूर्ण चरण रही। बैठक में सचिव कार्मिक शैलेश बगौली, प्रमुख सचिव वित्त आरके सुधांशु, सचिव मुख्यमंत्री विनय शंकर पांडे, और सचिव सैनिक कल्याण दीपेंद्र चौधरी मौजूद रहे।

कई घंटे चली चर्चा के बाद सरकार ने कर्मचारियों की मांगों से सहमति जताई। उपनल कर्मचारी महासंघ के प्रदेश संयोजक विनोद गोदियाल ने कहा कि बैठक सकारात्मक रही, लेकिन कर्मचारियों ने साफ कर दिया है कि शासनादेश प्राप्त होने से पहले किसी भी स्थिति में वे काम पर वापस नहीं लौटेंगे।

उन्होंने कहा कि हड़ताल केवल स्थगित की गई है, समाप्त नहीं, और आवश्यकता पड़ी तो आंदोलन फिर से तेज़ किया जाएगा।

प्रतिनिधि मंडल में हरीश कोठारी, महेश भट्ट, विनय प्रसाद, जगत राम भट्ट, अजय डबराल और पीएस बोरा शामिल थे। बैठक के बाद पूरा प्रतिनिधिमंडल परेड ग्राउंड पहुँचा और देर रात तक वहीं बने रहकर शासनादेश की आधिकारिक प्रति का इंतजार करता रहा।

कर्मचारियों में उत्साह और सतर्कता दोनों देखी गई एक ओर लंबे संघर्ष के बाद मिली इस राहत का सुकून था, तो दूसरी ओर शासनादेश जारी होने तक आंदोलन को पूरी तरह समाप्त न करने का निर्णय भी उतनी ही मजबूती के साथ कायम था।

राज्य सरकार के इस फैसले से उपनल कर्मियों की वर्षों पुरानी मांगों को गति मिली है। अब निगाहें सोमवार पर टिकी हैं, जब शासनादेश का आधिकारिक रूप सामने आएगा।

यदि आदेश जारी होता है, तो यह हजारों परिवारों के लिए वास्तविक राहत का क्षण होगा; और यदि नहीं, तो उपनल कर्मियों का आंदोलन एक बार फिर उत्तराखंड की सड़कों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगा।