ग्राउंड रिपोर्ट: भागीरथी के बीच अटकी ज़िंदगियाँ… हर साल खुद पुल बनाकर उम्मीद जोड़तीं स्यूणा गांव की महिलाएं

भागीरथी के बीच अटकी ज़िंदगियाँ… हर साल खुद पुल बनाकर उम्मीद जोड़तीं स्यूणा गांव की महिलाएं

उत्तरकाशी। विकास के दावों के बीच उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से सटा स्यूणा गांव आज भी एक अदद पुल को तरस रहा है। भागीरथी नदी पर पुल का निर्माण आज तक न हो पाने के कारण ग्रामीणों को हर साल भारी जोखिम और परेशानी से गुजरना पड़ता है।

स्थिति यह है कि नदी का जलस्तर कम होते ही गांव की महिलाएं खुद ही वैकल्पिक पुलिया तैयार करने में जुट जाती हैं।

भागीरथी का जलस्तर घटते ही शुरू हुआ श्रमदान

इस बार भी जैसे ही भागीरथी नदी का जलस्तर कम हुआ, स्यूणा गांव की महिलाओं अंजू देवी, अर्चना, रजनी, सुनीता, संगीता, वंदना और आरती ने शुक्रवार से श्रमदान शुरू कर दिया। वे पत्थर और मिट्टी डालकर नदी के बीच अस्थाई पुलिया का निर्माण कर रही हैं।

स्थानीय लोग बताते हैं कि मानसून में नदी उफान पर आने से पैदल मार्ग डूब जाता है और आवाजाही का एकमात्र सहारा जर्जर टिन-ट्रॉली रह जाती है, जिसका उपयोग करना बेहद जोखिम भरा होता है। इसकी रस्सियों को हाथ से खींचकर पार करना पड़ता है।

“चार किमी दूरी पर गांव, लेकिन आज तक पुल नहीं” – ग्रामीणों की पीड़ा

गांव की महिलाओं ने बताया कि जिला मुख्यालय से मात्र चार किमी दूर होने के बावजूद उन्हें अब तक सड़क से जोड़ने वाला पुल नहीं मिला।

  • ट्रॉली खतरनाक, कभी भी हादसा हो सकता है।
  • पैदल मार्ग बारिश में डूब जाता है।

हर साल अस्थाई पुलिया बनाना उनकी मजबूरी बन गया है
ग्रामीण बताते हैं कि पुल निर्माण की मांग को लेकर वे कई बार आंदोलन कर चुके हैं, गंगोत्री हाईवे तक जाम किया, लेकिन नतीजा शून्य रहा।

गूंज संस्था भी कर रही सहयोग

अस्थाई पुलिया निर्माण में महिलाओं के साथ गूंज संस्था के स्वयंसेवक भी सहयोग कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि समस्याएं उनकी नियति बन गई हैं, क्योंकि सरकार व प्रशासन की ओर से सुनवाई नहीं हो रही है।

पुल स्वीकृत है, लेकिन बीआरओ की परियोजना में अटका

लोक निर्माण विभाग भटवाड़ी के सहायक अभियंता स्वराज चौहान ने बताया कि, “स्यूणा गांव के लिए पुल स्वीकृत है, लेकिन उसका एलाइमेंट बीआरओ की ऑल वेदर रोड परियोजना के सर्वे के बीच आने के कारण निर्माण लंबित पड़ा है।”

शासन-प्रशासन की सुस्ती का प्रतीक बनता स्यूणा गांव

उत्तरकाशी का यह गांव बताता है कि, विकास की मुख्यधारा से कितने ग्रामीण अभी भी दूर हैं। जिला मुख्यालय से इतनी कम दूरी पर बसे गांव में यदि पुल जैसी आधारभूत सुविधा तक नहीं पहुंची है, तो दूरस्थ क्षेत्रों की स्थिति का अंदाज़ा स्वयं लगाया जा सकता है।

सोर्स:- ETV भारत