डेमोग्राफी चेंज की साजिश का पर्दाफाश। पुलिस ने मास्टरमाइंड समेत तीन पकड़े
हल्द्वानी। शहर में डेमोग्राफी चेंज जैसे गंभीर मामले में नैनीताल पुलिस ने बड़ा खुलासा करते हुए फर्जी स्थायी निवास प्रमाणपत्र तैयार करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है।
तहसीलदार कुलदीप पांडे की तहरीर पर दर्ज मुकदमे की जांच में सामने आया कि एक संगठित गैंग लोगों के कूटरचित दस्तावेज बनवाकर जनसंख्या आँकड़ों के साथ छेड़छाड़ की कोशिश कर रहा था।
मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए पुलिस ने तीव्र कार्रवाई करते हुए तीन आरोपियों मो. फैजान, रईस अहमद और UPCL कर्मचारी दिनेश सिंह दासपा को गिरफ्तार कर लिया।
जांच में पता चला कि फैजान इस पूरे नेटवर्क का मास्टरमाइंड था, जो फर्जी स्थायी निवास प्रमाणपत्र तैयार करता था। उसने पूछताछ के दौरान स्वीकार किया कि उसने रईस अहमद के नाम पर फर्जी प्रमाणपत्र बनवाया और रईस की पुत्री इल्मा के जाति प्रमाणपत्र से जुड़े दस्तावेजों का दुरुपयोग कर कागज तैयार किए।
फैजान द्वारा कई और लोगों के लिए भी इसी तरह के फर्जी दस्तावेज तैयार करने की जानकारी मिली है। वहीं रईस अहमद ने भी माना कि उसने आर्थिक लाभ देकर गलत दस्तावेजों के आधार पर अपना फर्जी स्थायी निवास प्रमाणपत्र बनवाया और इसी के आधार पर बाद में विवाह प्रमाणपत्र भी जारी करवाया।
जांच में यह भी सामने आया कि UPCL का कर्मचारी दिनेश सिंह दासपा इस गैंग को पुराने बिजली कनेक्शनों का डेटा उपलब्ध कराता था।
वह फैजान के कहने पर 15 साल पुराने बिजली बिलों की स्टाम्पयुक्त प्रतियां निकालता था और प्रति बिल 500 रुपये लेने की बात भी कबूल कर चुका है। पुलिस के अनुसार ये दस्तावेज फर्जी निवास प्रमाणपत्र तैयार करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण आधार बनाए जाते थे।
फैजान और रईस अहमद के खिलाफ BNS की धारा 318(4), 316(5), 336(3), 338 और 61(2) के तहत कार्रवाई की गई है, जबकि दिनेश सिंह दासपा पर धारा 318(4) और 61(2) के तहत साक्ष्य मिले हैं। तीनों आरोपियों को न्यायालय में प्रस्तुत किया जा रहा है।
SSP डॉ. मंजूनाथ टी.सी. के निर्देशन में की गई इस कार्रवाई को फर्जी प्रमाणपत्र माफिया के खिलाफ बड़ी सफलता माना जा रहा है। पुलिस का कहना है कि जनसंख्या आँकड़ों में हेरफेर करने या पहचान संबंधी दस्तावेजों के फर्जीवाड़े की किसी भी साजिश को सख्ती से कुचला जाएगा।


