थराली आपदा पर हाईकोर्ट सख्त। सरकार की रिपोर्ट नाकाफी, एक हफ्ते में मांगा जवाब
नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने चमोली ज़िले के थराली तहसील में 22 व 28 अगस्त को बादल फटने के बाद प्रभावित क्षेत्रों में आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध न होने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की।
कोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद तय की है। साथ ही याचिकाकर्ता से आपदा प्रबंधन पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर कई सवाल खड़े किए।
याचिकाकर्ता का कहना है कि,
- आपदा पीड़ितों को अब तक मुआवज़ा नहीं दिया गया।
- कई लोग आपदा में बह गए, पर उनका अब तक पता नहीं चल सका।
- थराली अस्पताल बदहाल है और डॉक्टरों की नियुक्ति अब तक नहीं हुई।
- गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी बाहरी अस्पतालों में कराई जा रही है।
- कोर्ट के आदेश के बावजूद प्रभावित क्षेत्रों में अर्ली वेदर वॉर्निंग सिस्टम नहीं लगाया गया।
- राज्य आपदा प्रबंधन की गाइडलाइन अब तक वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं कराई गई।
कोर्ट ने पूर्व में राज्य सरकार से यह भी पूछा था कि थराली की वर्तमान स्थिति क्या है? पीड़ित किन सुविधाओं से वंचित हैं तथा उनके लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं? इसके अलावा भविष्य की नीति क्या है?
सरकार द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट से हाईकोर्ट असंतुष्ट दिखा और याचिकाकर्ता को अब इस पर अपनी प्रतिक्रिया दर्ज करने को कहा है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य में बढ़ती प्राकृतिक आपदाओं पर चिंता जताते हुए कहा कि, “उत्तराखंड पहाड़ी राज्य है। बादल फटना, ग्लेशियर पिघलना और मानवीय हस्तक्षेप आपदा का कारण बन सकते हैं। लगातार ऐसी घटनाओं से राज्य का पर्यटन, स्थानीय लोग और उनका व्यवसाय प्रभावित हो रहा है। राज्य सरकार को इससे निपटने के लिए ठोस नीति बनानी चाहिए।” अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद होगी।

