बिग ब्रेकिंग: हाईकोर्ट ने दी प्राग फार्म की खड़ी फसल को काटने की अनुमति

हाईकोर्ट ने दी प्राग फार्म की खड़ी फसल को काटने की अनुमति

रिपोर्ट- दिलीप अरोरा

नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने ऊधमसिंह नगर के बहुचर्चित प्राग फार्म भूमि विवाद में बड़ा आदेश दिया है। कोर्ट ने एकलपीठ के उस फैसले पर रोक लगाई है, जिसमें राज्य सरकार को जमीन पर खड़ी फसल की कटाई और बिक्री का अधिकार दिया गया था। अब खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं को खुद फसल काटने की अनुमति दे दी है।

मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से भी जवाब मांगा है। यह अपील माधवी अग्रवाल और अन्य की ओर से दाखिल की गई थी, जिन्होंने एकलपीठ के आदेश को चुनौती दी थी।

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सरकार ने भले ही जमीन पर कब्जा ले लिया हो, लेकिन उस पर खड़ी फसल उन्हीं की मेहनत से तैयार हुई है, इसलिए कटाई और बिक्री का अधिकार उन्हें ही मिलना चाहिए।

वहीं सरकार का तर्क था कि भूमि राज्य की है और नियमों के अनुसार फसल की बिक्री का अधिकार भी राज्य के पास ही होना चाहिए।

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि फिलहाल फसल की कटाई याचिकाकर्ता कर सकते हैं, जबकि इस मामले में सरकार को विस्तृत जवाब दाखिल करना होगा।

क्या है प्राग फार्म विवाद?

प्राग फार्म का विवाद अंग्रेजी हुकूमत के समय से जुड़ा है। 1933 में अंग्रेजों ने किच्छा तहसील के 12 गांवों में फैली करीब 5193 एकड़ जमीन प्राग नारायण अग्रवाल को 99 साल की लीज पर दी थी।

1966 में गवर्नमेंट एस्टेट ठेकेदारी अबोलिशन एक्ट के तहत यह लीज खत्म कर दी गई, लेकिन फार्म प्रबंधन ने कब्जा नहीं छोड़ा।

2014 में प्रशासन ने लगभग 1972 एकड़ भूमि पर कब्जा ले लिया था। इसके बाद अगस्त 2025 में हाईकोर्ट द्वारा प्राग फार्म की विशेष अपील खारिज होने के बाद प्रशासन ने 1914 एकड़ जमीन अपने अधिकार में ले ली थी।