विशेष रिपोर्ट: उत्तराखंड में बारिश का कहर। ऋषिकेश में जल सैलाब, पहाड़ों में किसानों की फसलें बर्बाद

उत्तराखंड में बारिश का कहर। ऋषिकेश में जल सैलाब, पहाड़ों में किसानों की फसलें बर्बाद

देहरादून। उत्तराखंड में इन दिनों बारिश आफत बनकर बरस रही है। मैदान से लेकर पहाड़ तक इसका असर साफ दिखाई दे रहा है। जहां ऋषिकेश जैसे शहर जल सैलाब में डूबे हैं, वहीं पर्वतीय इलाकों में लगातार भूस्खलन और सड़क बंद होने से किसानों की कमर टूट गई है।

ऋषिकेश में जल सैलाब, हाईवे पर बस फंसी

शनिवार सुबह करीब दो घंटे की मूसलाधार बारिश ने ऋषिकेश का जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया। श्यामपुर बाईपास मार्ग, मनसा देवी और ढालवाला की सड़कें जल सैलाब में तब्दील हो गईं।

गंगोत्री हाइवे पर बारिश का मलबा आने से यात्रियों से भरी एक बस और कई छोटे वाहन फंस गए। यात्रियों की चीख-पुकार के बीच पुलिस और एसडीआरएफ की टीम ने मौके पर पहुंचकर सभी को सुरक्षित बाहर निकाला।

भारी बारिश से गीता नगर, गंगानगर, चंदेश्वर नगर जैसे इलाकों की गलियां घुटनों तक पानी में डूब गईं। सड़क किनारे खड़ी गाड़ियां जलमग्न हो गईं और लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो गया।

  • प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि अनावश्यक रूप से घरों से बाहर न निकलें और निचले इलाकों से दूर रहें।
  • मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों के लिए भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी जारी की है।

सड़कों के कटने से किसान परेशान, सेब–नाशपाती की बागवानी पर संकट

लगातार बारिश और भूस्खलन के कारण राज्य के कई पहाड़ी क्षेत्र मुख्य नगरों से कट गए हैं। इसका सबसे ज्यादा असर किसानों पर पड़ा है। सड़कें बार-बार बंद और खुलने से उनकी फसलें मंडियों तक नहीं पहुंच पा रही हैं।

देहरादून की निरंजनपुर मंडी में पहुंचे किसानों ने बताया कि इस बार सेब और नाशपाती की अच्छी पैदावार हुई थी, लेकिन खराब सड़कों और ट्रांसपोर्टेशन की दिक्कतों के कारण न तो उन्हें सही दाम मिल रहे हैं और न ही समय पर फसल बाजार पहुंच पा रही है।

  •  सेब और नाशपाती की बागवानी को भारी नुकसान
  •  टमाटर और हरी सब्जियां भी समय पर न पहुंचने से खराब हो रही हैं
  • किसान सरकार से राहत और बेहतर सड़क व कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं की मांग कर रहे हैं

राज्य में सेब उत्पादन

उत्तराखंड में करीब 25,785 हेक्टेयर क्षेत्र में सेब की बागवानी होती है और हर साल लगभग 62 हजार मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है। इसमें सबसे बड़ा उत्पादन उत्तरकाशी जिले में होता है, जबकि चमोली, देहरादून (चकराता–कालसी), अल्मोड़ा और नैनीताल जिले भी प्रमुख उत्पादक हैं।

करोड़ों का नुकसान

विशेषज्ञों के मुताबिक, इस बार सिर्फ उत्तरकाशी जिले में ही करोड़ों रुपये का सेब कारोबार प्रभावित हुआ है। दूसरी तरफ छोटे किसान सब्जियों के दाम न मिलने से नुकसान झेल रहे हैं।