दुःखद: उत्तराखंड में बढ़ता मानव-वन्यजीव संघर्ष। गुलदार ने मासूम बच्ची को बनाया निवाला, गांव में दहशत

उत्तराखंड में बढ़ता मानव-वन्यजीव संघर्ष। गुलदार ने मासूम बच्ची को बनाया निवाला, गांव में दहशत

पौड़ी गढ़वाल। श्रीकोट गांव (पोखड़ा रेंज) से मानव-वन्यजीव संघर्ष का एक और दर्दनाक मामला सामने आया है। शुक्रवार रात करीब आठ बजे गुलदार ने घर के बाहर खेल रही चार वर्षीय मासूम रिया, पुत्री जितेंद्र रावत को निवाला बना लिया।

ग्रामीणों की चीख-पुकार के बीच गुलदार बच्ची को घसीटते हुए जंगल में ले गया। तलाश के दौरान कुछ दूरी पर बच्ची का क्षत-विक्षत शव बरामद हुआ।

सूचना पर गढ़वाल वन प्रभाग के रेंजर नक्षत्र शाह अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे और क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन शुरू किया। घटना के बाद से पूरे गांव में दहशत है, लोग बच्चों को घर से बाहर भेजने से डर रहे हैं।

पिछले एक साल के आंकड़े

  • कुमाऊं मंडल: 26 से अधिक मौतें, 40 घायल
  • गढ़वाल मंडल: 18 से ज्यादा मौतें, दर्जनों घायल
  • नैनीताल और पिथौरागढ़: सबसे अधिक घटनाएं दर्ज
  • पौड़ी गढ़वाल: अकेले 1 साल में 7 मौतें

क्यों बढ़ रहा है संघर्ष?

  • जंगलों में शिकार की कमी – जंगली जानवरों के शिकार में भारी कमी आई है।
  • मानव बस्तियों का फैलाव – सड़क, पर्यटन और भवन निर्माण से जंगल सिकुड़ रहे हैं।
  • असंतुलित विकास – जलविद्युत परियोजनाओं और खनन ने वन्यजीव आवास प्रभावित किए हैं।
  • खुले कूड़ाघर – गांव-शहर के आसपास मवेशियों और कचरे पर निर्भरता से गुलदार बस्तियों की ओर खिंच रहा है।

बढ़ता खतरा

  • छोटे बच्चे और बुजुर्ग सबसे अधिक शिकार बन रहे हैं।
  • पहाड़ी गांवों में रात होते ही ग्रामीण घरों से बाहर निकलने से कतराते हैं।
  • महिलाओं पर भी हमले की घटनाएं बढ़ रही हैं।

वन विभाग की मौजूदा कार्रवाई

  • गांवों के पास पिंजरे और कैमरा ट्रैप लगाए जा रहे हैं।
  • संदिग्ध गुलदार को मानव-भक्षक घोषित करने की प्रक्रिया शुरू की जाती है।
  • प्रभावित परिवारों को मुआवजा दिया जा रहा है।
  • स्थानीय लोगों को जागरूक करने और सतर्कता बढ़ाने के निर्देश।

विशेषज्ञों की राय और समाधान

  • वन्यजीव विशेषज्ञ: जंगलों में शिकार और जल स्रोत बहाल किए जाएं।
  • समाजशास्त्री: ग्रामीणों को सामुदायिक सतर्कता समूह बनाने चाहिए।

नीति सुझाव

  • मानव-वन्यजीव बफर जोन तैयार किए जाएं।
  • संवेदनशील गांवों में सौर लाइटिंग और अलार्म सिस्टम लगाया जाए।
  • आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (ERT) को और मजबूत किया जाए।

सरकार के सामने चुनौतियां

  • विकास और पर्यावरण संरक्षण में संतुलन बनाना।
  • ग्रामीणों की सुरक्षा और वन्यजीवों के संरक्षण दोनों को साधना।
  • त्वरित कार्रवाई के साथ दीर्घकालिक नीति लागू करना।