हरिद्वार में पितृ पक्ष की शुरुआत, नारायणी शिला मंदिर में उमड़ा आस्था का सैलाब
हरिद्वार। आज से पितृ पक्ष की शुरुआत हो गई है। आस्था और श्रद्धा का यह पर्व पितरों को स्मरण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करने का अवसर देता है। मान्यता है कि श्राद्ध कर्म से देव ऋण, पितृ ऋण और ऋषि ऋण से मुक्ति मिलती है। हरिद्वार के प्राचीन नारायणी शिला मंदिर में इस मौके पर भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचकर अपने पितरों का श्राद्ध कर रहे हैं।
नारायणी शिला का महत्व
पुराणों के अनुसार, गयासुर नामक राक्षस जब शिला को लेकर भाग रहा था, तो भगवान नारायण के साथ युद्ध में वह शिला तीन भागों में बंट गई।
इसका नाभि हिस्सा हरिद्वार में, सिर बदरीनाथ में और निचला हिस्सा गया में गिरा। हरिद्वार में गिरी शिला ही आज नारायणी शिला मंदिर के नाम से जानी जाती है। मान्यता है कि यहां श्राद्ध करने से पितरों की अधोगति से मुक्ति मिलती है।
पंडितों के मुताबिक महालय पक्ष के इन 16 दिनों में पितृ लोक पृथ्वी के सबसे करीब होता है। इसलिए पिंडदान, तर्पण और तिलांजलि विशेष फलदायी मानी जाती है।
ज्योतिषाचार्य पंडित राजेश शर्मा का कहना है, “पितृ पक्ष में किया गया श्राद्ध केवल पितरों की आत्मा की शांति के लिए ही नहीं बल्कि परिवार के सुख-समृद्धि के लिए भी आवश्यक माना जाता है।”
धर्माचार्य आचार्य दिनेश जोशी के अनुसार, “नारायणी शिला पर पिंडदान करने से व्यक्ति को तीनों लोकों के पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है। यह स्थान विशेष रूप से मोक्षदायी है।”
चंद्रग्रहण को देखते हुए हरकी पैड़ी की आरती का समय बदला
आज ही साल 2025 का दूसरा पूर्ण चंद्रग्रहण भी लग रहा है। ग्रहण का आरंभ रात 9:57 बजे होगा, मध्य 11:41 पर और समापन 1:27 बजे (8 सितंबर) पर होगा।
ग्रहण को देखते हुए हरकी पैड़ी पर होने वाली संध्याकालीन गंगा आरती सामान्य समय (6:30 बजे) की बजाय दोपहर 12:30 बजे ही कर ली गई। श्री गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने बताया कि सूतक काल दोपहर 12:57 बजे से प्रारंभ हो गया था।
सूतक शुरू होने से पहले ही गंगा आरती और मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए। ग्रहण समाप्त होने के बाद मंदिर को गंगा जल से शुद्ध कर कपाट खोले जाएंगे।
ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज त्रिपाठी ने बताया, “सूतक काल में धार्मिक कार्य निषिद्ध होते हैं। ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान और शुद्धि का विशेष महत्व होता है।”
सूतक का प्रभाव
- आम लोगों के लिए सूतक काल दोपहर 12:57 बजे से ग्रहण समाप्ति (1:27 बजे) तक रहेगा।
- बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं के लिए सूतक शाम 6:35 बजे से प्रभावी होगा।
- सूतक में कोई भी धार्मिक या शुभ कार्य नहीं किया जाता।