उत्तराखंड में सरकारी नमक पर उठे सवाल, दुकानों पर छापेमारी
देहरादून। उत्तराखंड में सस्ते गल्ले की दुकानों पर बंट रहे नमक की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। कई जिलों से शिकायतें आई हैं कि ‘मुख्यमंत्री नमक पोषण योजना’ के तहत मिल रहे आयोडीन युक्त नमक में रेत और धूल जैसी मिलावट पाई जा रही है। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद प्रदेशभर में हड़कंप मच गया।
सरकारी योजना के तहत वितरित किए जा रहे इन पैकेट्स पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य की तस्वीरें छपी हुई हैं। ऐसे में जनता के बीच यह सवाल उठ रहा है कि जिस ब्रांड पर सरकार भरोसा दिखा रही है, क्या उसी में मिलावट होना कोई संगठित षड्यंत्र तो नहीं?
सीएम धामी ने दिए जांच के आदेश
शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तुरंत जांच के निर्देश दिए। आयुक्त खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति चंद्रेश कुमार ने बताया कि नमक की आपूर्ति भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ (एनसीसीएफ) के माध्यम से की जा रही है और अब तक हुई लैब टेस्टिंग में नमक की गुणवत्ता मानकों के अनुरूप पाई गई है। फिर भी, विभाग ने सैंपलिंग और जांच प्रक्रिया तेज कर दी है।
मसूरी और रुद्रप्रयाग में छापेमारी
मसूरी में एसडीएम कुमकुम जोशी के नेतृत्व में सभी राशन दुकानों की जांच की गई। नमक के सैंपल लेकर लैब भेजे गए हैं। वहीं, रुद्रप्रयाग के अगस्त्यमुनि क्षेत्र में भी एसडीएम याक्षी अरोड़ा की अगुवाई में टीमों ने औचक निरीक्षण किया और नमक समेत अन्य खाद्यान्न के नमूने जांच के लिए सील किए।
अधिकारियों का कहना है कि यदि मिलावट या मानकों के विपरीत स्थिति पाई जाती है तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी। फिलहाल, रिपोर्ट आने तक सभी जिलों में सैंपलिंग और छापेमारी का सिलसिला जारी रहेगा।