चिकित्सालय में ताले, दलालों ने खा ली विकास की दवा। मोर्चा ने खोला मोर्चा
- स्वास्थ्य सचिव ने दिए जांच और कार्रवाई के निर्देश। स्वास्थ्य मंत्री पर भी जताई नाराज़गी
देहरादून। उत्तराखंड में सरकारी संसाधनों पर भी दलालों की गिद्ध दृष्टि बनी हुई है। देहरादून के डाकपत्थर में बनकर तैयार 50 बेड का संयुक्त चिकित्सालय पिछले एक साल से निष्क्रिय पड़ा है।
इस पर जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए स्वास्थ्य मंत्री से लेकर सिस्टम की नाकामी को कठघरे में खड़ा किया है।
नेगी ने स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार से मुलाकात कर चिकित्सालय को शीघ्र संचालित करने की मांग की, जिस पर सचिव ने 8 जुलाई को डीजी हेल्थ को प्रस्ताव तैयार कर मैनपावर तैनात करने के निर्देश दिए हैं।
जन संघर्ष मोर्चा के लगातार प्रयासों के बाद 15 मई 2025 को यह चिकित्सालय भवन अंततः स्वास्थ्य विभाग को हस्तगत हो सका।
नेगी ने बताया कि लगभग 13 करोड़ रुपये की लागत से वर्ष 2021 में स्वीकृत यह भवन अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अधीन था, जिसे अब जाकर स्वास्थ्य विभाग को सौंपा गया है।
कमीशनखोरी बनी बाधा
नेगी ने कहा, “विकासनगर क्षेत्र में तमाम भवन और पुल सिर्फ ठेकेदारी और कमीशन के लिए बनाए जा रहे हैं, जनता की जरूरतें और सुविधाएं किसी की प्राथमिकता में नहीं हैं। अस्पताल जैसी बुनियादी ज़रूरत भी दलाली की भेंट चढ़ गई।”
उन्होंने आरोप लगाया कि नेता और अफसरों का एक वर्ग सिर्फ अपनी जेब भरने में लगा है, जिनका जनहित से कोई वास्ता नहीं है। उन्होंने चेताया कि यदि जल्द स्वास्थ्य सेवाएं शुरू नहीं हुईं तो मोर्चा स्वास्थ्य मंत्री के आवास पर धरना देगा।
क्षेत्रीय जनता को मिल सकती थी बड़ी राहत
नेगी ने बताया कि यदि यह अस्पताल संचालित हो जाता तो विकासनगर उप-जिला चिकित्सालय का बोझ कम होता और डाकपत्थर समेत आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों को बड़ी राहत मिलती। लेकिन राजनीतिक उपेक्षा और विभागीय लापरवाही ने एक बार फिर जनता को अपने हक से वंचित कर दिया।
मोर्चा का संकल्प: दलाल संस्कृति का खात्मा
मोर्चा ने स्पष्ट किया है कि वह क्षेत्र में दलाल संस्कृति और कमीशनखोरी के खिलाफ निर्णायक संघर्ष करेगा। मोर्चा को उम्मीद है कि जनता के दबाव और निरंतर प्रयासों से जल्द ही यह चिकित्सालय जनता को समर्पित होगा और स्वास्थ्य सेवाएं शुरू होंगी।