विशेष रिपोर्ट: कोटद्वार स्वच्छता रैंकिंग में चमका, जमीनी हालात बदहाल। सीवर पानी से जूझते दुकानदार और राहगीर

कोटद्वार स्वच्छता रैंकिंग में चमका, जमीनी हालात बदहाल। सीवर पानी से जूझते दुकानदार और राहगीर

कोटद्वार। नगर निगम को स्वच्छता सर्वेक्षण में उत्तराखंड में दूसरा स्थान क्या मिला, जनप्रतिनिधि और अफसर खुद को बधाइयों से लादने में जुट गए।

सोशल मीडिया पोस्ट, अखबारों में फोटो, तालियों की गूंज… मानो शहर ने कोई क्रांति कर दी हो। मगर इस चमक-दमक के पीछे स्टेशन रोड की वो बदबूदार हकीकत कहीं नहीं दिखती, जो स्थानीय लोगों की नाक में दम किए हुए है।

रेलवे स्टेशन रोड पर बीते कई महीनों से सीवर का गंदा पानी लगातार सड़कों पर बह रहा है। बगल के दुकानदार हों या रोज गुजरने वाले राहगीर हर कोई परेशान है।

बरसात में यह गंदगी कीचड़ में बदल चुकी है और संक्रमण फैलने का खतरा और भी ज्यादा बढ़ गया है। खुजली, फोड़े, चर्म रोग ये अब आम बात हो चली है।

स्थानीय व्यापारी सवाल कर रहे हैं कि, “क्या यहीं है वो स्वच्छ कोटद्वार जिसकी रैंकिंग पर शान से पोस्टर लग रहे हैं?”

स्टेशन रोड कोई गली-कूचा नहीं, बल्कि शहर का सबसे अहम इलाका है। यहीं रोडवेज और जीएमओयू बस स्टैंड है, टैक्सी स्टैंड है, रेलवे स्टेशन है, सैनिक विश्राम गृह है, और हनुमान मंदिर व गुरुद्वारा जैसे पवित्र स्थल भी हैं। हर दिन हज़ारों लोग इस मार्ग से गुजरते हैं, लेकिन उन्हें गंदे पानी में पैर रखकर चलना पड़ता है।

व्यापारियों का आरोप है कि नगर निगम को कई बार शिकायत दी गई, लेकिन आज तक केवल आश्वासन ही मिला। कोई स्थायी हल नहीं निकला।

जनता पूछ रही है: “जब नगर निगम शहर के सबसे भीड़भाड़ वाले इलाके की सफाई नहीं कर पा रहा, तो रैंकिंग में दूसरा स्थान किस बात का?”

स्थानीय लोग इसे जनप्रतिनिधियों और विभाग की ‘आँख मूंदकर ली गई बधाई यात्रा’ बता रहे हैं। उनका कहना है कि जब तक जनता हल्ला नहीं मचाती, तब तक कोई सुध लेने वाला नहीं होता।

हालांकि हालात बिगड़ते देख अब विधानसभा अध्यक्ष ने भी दखल देते हुए जल्द समाधान का भरोसा दिलाया है। लेकिन जनता कह रही है, “हमें वादे नहीं, काम चाहिए!”

आप भी बताएं– क्या आपके इलाके में भी यही हाल है?

क्या आपके मोहल्ले, बाजार या गली में भी सफाई के सरकारी दावे कागजों पर ही चमक रहे हैं, जबकि जमीनी हालात बदहाल हैं?

  • आपकी शिकायतें नजरअंदाज की जा रही हैं?
  • अधिकारी सिर्फ तस्वीरों में सक्रिय हैं?
  • आप भी सीवर, गंदगी या कूड़े के ढेर के बीच जीने को मजबूर हैं?

तो चुप मत रहिए!
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क्योंकि शहर तभी बदलेगा, जब सवाल उठेंगे।