‘डबल रिटर्न’ का झांसा देखर ठगी। LUCC चिट फंड घोटाले में नया मोड़, CBI की एंट्री तय
देहरादून/नई दिल्ली। उत्तराखंड का बहुचर्चित LUCC चिट फंड घोटाला अब केंद्रीय जांच एजेंसी CBI की दहलीज पर पहुंच चुका है।
उत्तराखंड पुलिस द्वारा मामले की प्रारंभिक जांच पूरी कर शासन को रिपोर्ट सौंप दी गई है। रिपोर्ट में सामने आए तथ्यों के बाद राज्य सरकार ने इस केस को CBI को सौंपने की सिफारिश कर दी है।
यह घोटाला न केवल राज्य का, बल्कि देश का भी बहु-राज्यीय वित्तीय अपराध बन चुका है। उत्तराखंड के दूरस्थ पहाड़ी गांवों से लेकर देश के कई राज्यों तक फैले LUCC (Loni Urban Multistate Credit Thrift Cooperative Society) नेटवर्क ने लोगों की खून-पसीने की कमाई को ठगकर अपने मुनाफे का जरिया बनाया।
कैसे हुआ घोटाला?
- LUCC ने खुद को एक सहकारी संस्था के रूप में प्रचारित किया।
- निवेशकों को लोन की सुविधा, डबल रिटर्न, और सुरक्षित निवेश का झांसा दिया गया।
- पहले कुछ को भुगतान कर विश्वास जीता गया।
- फिर स्थानीय एजेंटों के ज़रिए बड़ी संख्या में गरीब और ग्रामीण निवेशकों को फंसाया गया।
- जब पैसा करोड़ों में पहुंच गया, तो कंपनी फरार हो गई।
अब तक क्या हुआ?
अब तक उत्तराखंड में 13 एफआईआर दर्ज:
- पौड़ी गढ़वाल: 4
- टिहरी गढ़वाल: 4
- देहरादून: 2
- रुद्रप्रयाग: 2
- उत्तरकाशी: 1
देशभर में 70 से अधिक मामले दर्ज
- 8 लोग गिरफ्तार, 4 पर LOC (लुक आउट सर्कुलर)
- संपत्ति ज़ब्ती की कार्रवाई चल रही है
- CB-CID, इनकम टैक्स और ईडी ने भी शुरू की है जांच
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
- इस घोटाले ने राजनीतिक हलकों में भी खलबली मचा दी है।
- कांग्रेस नेता करन माहरा ने सरकार पर ठगों को संरक्षण देने का आरोप लगाया।
- महिला कांग्रेस मंत्री धन सिंह रावत के आवास का घेराव कर चुकी है।
- हाईकोर्ट में जनहित याचिका पर सरकार से जवाब तलब किया गया है।
अब क्यों ज़रूरी है CBI जांच?
उत्तराखंड CID की जांच के बावजूद, घोटाले की जड़ें देश के कई राज्यों तक फैली हैं। इससे संबंधित शिकायतें अब देश के विभिन्न हिस्सों से आ रही हैं, जो इसे एक अंतरराज्यीय ठगी मामला बनाता है।
CBI के आने से उम्मीद की जा रही है कि:
- इस घोटाले के मास्टरमाइंड सामने आएंगे
- पीड़ितों की राशि की वसूली की संभावना बढ़ेगी
- और इस तरह की अन्य कंपनियों पर भी लगाम लगेगी
सवाल बाकी हैं, जवाब जरूरी हैं
- क्या सरकार इस तरह की सहकारी संस्थाओं की निगरानी में चूक रही है?
- इन एजेंटों को किसने लाइसेंस दिया और किस स्तर पर नियमन विफल हुआ?
- कितनी और LUCC जैसी संस्थाएं आज भी गरीब जनता को निशाना बना रही हैं?
LUCC ने जो किया वह सिर्फ धोखाधड़ी नहीं, बल्कि भरोसे की हत्या थी। अब जरूरत है कड़े और पारदर्शी एक्शन की ताकि कोई और गरीब अपनी जिंदगी की जमापूंजी इन धोखेबाजों के हवाले न कर बैठे।