नैनीताल से सटे गाँव में ग्रामीणों का बड़ा दर्द, पैदल दांडी में ले जाने को मजबूर। चुनाव बहिष्कार को तैयार
नैनीताल। उत्तराखण्ड में नैनीताल से लगे गांव के लोग बीमार बुजुर्गों को आज भी 4 किलोमीटर पैदल दांडी में ले जाने को मजबूर हैं।
पिछले दिनों पंचायती चुनाव के बहिष्कार की राह चल रहे ग्रामीणों का सड़क नहीं होना एक बहुत बड़ा दर्द है। बीमारों को दांडी में जंगलों के रास्ते ले जाने के कुछ वीडियो शायद आपको दर्द का एहसास कराए।


ये तब और भी मुश्किल हो जाता है जब, बीमार बुजुर्ग या गर्भवती महिलाओं को अस्पताल ले जाना होता है, बच्चों को स्कूल जाना होता है।
फल, सब्जी, दूध आदि को समय से मंडी पहुंचाना होता है या तत्काल कुछ सामान लाना होता है। ग्रामीण पतली सी उबड़ खाबड़ पखडण्डी से मरीज को नदी नाले पार कराकर बमुश्किल मोटर मार्ग तक पहुंचाते हैं।

एक मुश्किल ये भी है कि, पतली पखडण्डी होने के कारण इनकी दांडी भी एक एक व्यक्ति के लायक ही बनी है, जिससे ये कंधों पर बहुत भारी पड़ती है। मरीजों को लाना और ले जाना अपने आप में एक चुनौती से कम नहीं है।

ग्रामीण इस मांग को कई वर्षों से उठा रहे हैं और उन्होंने सरकार को प्रत्यावेदन भी दिया है। यहां के लोगों ने पिछले दिनों नेताओं और प्रशासन की अनदेखी और समस्याओं से त्रस्त होकर पंचायती चुनावों का बहिष्कार करने की ठानी थी।
खबरें प्रकाशित होने के बाद प्रशासन गांव पहुंचा और ग्रामीणों को आश्वासन देकर चुनाव बहिष्कार वापस करवाया।
आज आजादी के 78 वर्ष पूरे होने के बाद भी विश्वविख्यात नैनीताल से जुड़े गांव का ऐसा हाल देखकर विकास की बात करने वाले भारतीयों की आंखें शर्म से झुकनी चाहिए।