गजब: पंचायत चुनाव में 66418 पदों के लिए 32 हजार से अधिक नामांकन। इन गाँवों ने पेश की मिसाल

पंचायत चुनाव में 66418 पदों के लिए 32 हजार से अधिक नामांकन। इन गाँवों ने पेश की मिसाल

  • पंचायत चुनाव 2025-गुंजी और बिरगण के ग्रामीणों ने पेश की मिसाल
  • दावेदारी की मारामारी- पंचायत के कुल 66418 पदों के लिए 32 हजार से अधिक नामांकन

देहरादून। पंचायत चुनाव में जारी राजनीतिक मारकाट व जोड़-तोड़ के बीच उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल के दो छोटे गांवों से लोकतंत्र की एक ऐसी प्रेरक तस्वीर सामने आई है, जिसने पूरे देश का ध्यान खींच लिया है।

कुमाऊं के गुंजी और गढ़वाल के बिरगण गांव के ग्रामीणों ने अपने-अपने गांवों की बागडोर ऐसे व्यक्तित्वों के हाथों में सौंपी है, जिनका जीवन सेवा और समर्पण का उदाहरण रहा है।

गुंजी में ग्रामीणों ने सेवानिवृत्त IPS अधिकारी व रिटायर आईजी विमला गुज्याल को और पौड़ी जिले के बिरगण में भारतीय सेना के रिटायर्ड कर्नल यशपाल सिंह नेगी को निर्विरोध ग्राम प्रधान चुना।

जबकि 4 जुलाई तक पंचायत के कुल 66,418 पदों के लिए 32,239 नामांकन भरे जा चुके थे।

यह न केवल लोकतंत्र में ग्रामीण एकता और समझदारी का परिचायक है, बल्कि यह दिखाता है कि लोग अब अपने गांवों की दिशा और दशा बदलने के लिए योग्य और निस्वार्थ नेतृत्व को आगे ला रहे हैं।

निर्विरोध निर्वाचन: एक सकारात्मक परंपरा

रिटायर कर्नल यशपाल नेगी

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 53(2) के तहत, यदि केवल एक प्रत्याशी नामांकन करता है, तो उसे निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया जाता है। चुनाव आयोग भी इसे पूरी तरह नियमसम्मत मानता है।

ग्रामीणों का मानना है कि चुनावी गुटबाज़ी, आपसी कलह और अनावश्यक खर्च से बचने के लिए निर्विरोध निर्वाचन सबसे बेहतर विकल्प है। उत्तराखंड के कई इलाकों, विशेषकर जौनसार-बावर जैसे जनजातीय क्षेत्रों में यह परंपरा पहले भी दिखी है।नैनीताल जिले के एक गांव में भी कई साल से ग्रामीण निर्विरोध ग्राम प्रधान चुनते आये हैं। बीते चुनाव में तो टॉस कर गीता मेहरा को ग्राम प्रधान चुना गया था।

लेकिन इस बार जो बात अनोखी है, वह यह कि उच्च प्रशासनिक और सैन्य सेवाओं से सेवानिवृत्त अधिकारी गांव की सेवा के लिए खुद को समर्पित कर रहे हैं।

सेवा और अनुभव का नया अध्याय

विमला गुज्याल, पिथौरागढ़ जिले के धारचूला क्षेत्र के गुंजी गांव की मूल निवासी हैं। वे उत्तराखंड की पहली महिला जेल अधीक्षक बनीं और आईजी रैंक तक पहुंचकर जेल सुधार, महिला कैदियों के लिए कौशल विकास और महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में अनेक उल्लेखनीय कार्य किए।

कर्नल यशपाल सिंह नेगी, पौड़ी गढ़वाल के बीरोंखाल ब्लॉक के बिरगण गांव से हैं। सेना में तीन दशकों तक देश की सेवा करने के बाद वे गांव लौटे और समाजसेवा, बागवानी और खेती को अपना मिशन बना लिया। उन्होंने अपनी पत्नी के साथ मिलकर बंजर पड़ी 45 नाली ज़मीन को उपजाऊ बनाकर पारंपरिक खेती का नया जीवन शुरू किया।

गुंजी और बिरगण के ग्रामीणों ने यह दिखा दिया कि लोकतंत्र का असली सौंदर्य आपसी विश्वास, सामूहिक सोच और सही नेतृत्व में निहित है। यह निर्विरोध निर्वाचन न केवल ग्रामीण चेतना की परिपक्वता का प्रतीक है, बल्कि पंचायत चुनावों के लिए एक आदर्श उदाहरण भी है।