बिग ब्रेकिंग: CBI ने शासन को सौंपी जांच रिपोर्ट, 05 वन अधिकारियों पर मुदकमा दर्ज करने की मांगी अनुमति

CBI ने शासन को सौंपी जांच रिपोर्ट, 05 वन अधिकारियों पर मुदकमा दर्ज करने की मांगी अनुमति

रिपोर्ट- अमित भट्ट

देहरादून। कार्बेट टाइगर रिजर्व में 6000 से अधिक पेड़ों के अवैध कटान और टाइगर सफारी के नाम पर किए गए निर्माण कार्यों के मामले में सीबीआई ने एक बार फिर अपना शिकंजा कसा है। कार्बेट प्रकरण में सीबीआई ने अक्टूबर 2023 में मुकदमा दर्ज किया था।

अब सीबीआई ने अपनी जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी है। जिसमें 05 वन अधिकारियों पर मुदकमा दर्ज करने की अनुमति मांगी गई है। सीबीआई के इस कदम से वन विभाग के अफसरों में हड़कंप की स्थिति है।

सीबीआई की एंट्री से पहले यह मामला विजिलेंस के पास था। तब तत्कालीन रेंजर बृज बिहारी शर्मा और डीएफओ किशन चंद को सस्पेंड करने के साथ ही गिरफ्तार किया गया था। सीबीआई की एंट्री के बाद दिसंबर 2023 में ईडी ने भी जांच शुरू की।

ईडी की जांच भी अभी गतिमान है, लेकिन पूर्व डीएफओ किशन चंद की 31.8 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की जा चुकी है। इस पूरे प्रकरण में भाजपा की त्रिवेंद्र सरकार में वन मंत्री रहे हरक सिंह रावत की भूमिका पर भी गंभीर सवाल हैं और उन्हें भी सीधे तौर पर कठघरे में खड़ा किया गया है।

कार्बेट टाइगर रिजर्व में घोर अनियमितता का मामला पहली बार वर्ष 2021 में दिल्ली हाई कोर्ट के एक अधिवक्ता की याचिका में सामने आया था। तब दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देश के क्रम में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने इस संबंध में कार्बेट टाइगर रिजर्व में जाकर जांच की थी। जिसमें कई गड़बड़ी सामने आई।

पेड़ों के कटान को लेकर भारतीय वन सर्वेक्षण से भी जांच कराई गई। जिसमें 6000 से अधिक पेड़ों के काटे जाने का पता चला। धीरे-धीरे यह भी सामने आया कि पाखरो रेंज में टाइगर सफारी, मोरघट्टी, कुगड्डा, स्नेह, पाखरो रेस्ट हाउस के कार्यों में भारी अनियमितता बरती गई है।

साथ ही एलिफेंट वॉल, कंडी मार्ग और चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन के लिए कोर जोन में रेसिडेंस बनाने का काम भी बिना सक्षम अनुमति के किया गया।

ये तमाम कार्य 215 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बिना वित्तीय स्वीकृति और फंड परिवर्तित कर किए गए। जिसमें पाखरो रेंज में 106 हेक्टेयर वन क्षेत्र में टाइगर सफारी बनाने का कार्य प्रमुख रूप से शामिल रहा।

इन तमाम अनियमितताओं में तत्कालीन मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग (अब देहांत हो चुका), तत्कालीन मुख्य वन संरक्षक गढ़वाल सुशांत पटनायक, तत्कालीन निदेशक कार्बेट राहुल, तत्कालीन डीएफओ अखिलेश तिवारी, किशन चाँद, तत्कालीन रेंजर मथुरा सिंह, बृज बिहारी शर्मा और एलआर नाग का नाम सामने आया था।

इनमें से बृज बिहारी और किशन चंद ही सख्त कार्रवाई की जद में आए। शेष अधिकारियों को या तो महज निलंबित किया गया या कार्रवाई की ही नहीं गई। साफ है कि कई अधिकारियों को निरंतर बचाया जाता रहा।

यह स्थिति तब है, जब कार्बेट जैसे संवेदनशील प्रकरण में सीबीआई के साथ ही ईडी भी जांच में जुटी है। यहां तक कि तत्कालीन वन मंत्री भी लपेटे में हैं। उस दौरान के एक अन्य वरिष्ठतम अफसर की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए गए थे।

अब यह देखना अहम होगा कि सीबीआई ने जांच में किन अधिकारियों को आरोपी मानते हुए मुकदमा दर्ज करने की तैयारी शुरू की है।

क्या सीबीआई ने उन्हीं नामों को फाइनल किया है, जिन पर अंगुली उठती रही है? कार्बेट प्रकरण इसलिए भी अहम हो जाता है, क्योंकि इसमें सुप्रीम कोर्ट से लेकर दिल्ली हाई कोर्ट और उत्तराखंड हाई कोर्ट भी संज्ञान ले चुका है और वाद विचाराधीन हैं।

हालांकि, राज्य सरकार ने भी कार्बेट प्रकरण में तमाम गड़बड़ी पाए जाने पर विजिलेंस जांच शुरू कराई थी और कुछ कार्रवाई भी की गई। लेकिन, जांच में ढुलमुल रवैया पाते हुए उत्तराखंड (नैनीताल) हाई कोर्ट ने सीबीआई को मुकदमा दर्ज करने के आदेश जारी कर दिए थे।

यह याचिका देहरादून निवासी अनु पंत ने दायर की थी। जिसमें अधिवक्ता अभिजय नेगी ने पैरवी की और वन विभाग की कार्यप्रणाली को तर्कों के साथ कठघरे में खड़ा किया। अब सीबीआई कोर्ट के आदेश के क्रम में ही निरंतर कार्रवाई की दिशा में आगे बढ़ रही है।

यह है कार्बेट में पेड़ कटान का प्रकरण और पूर्व में कार्रवाई की स्थिति

कार्बेट सफारी प्रकरण में सीबीआई ने अक्टूबर 2023 में मुकदमा दर्ज किया, जबकि दिसंबर 2023 में ईडी की एंट्री हुई। ईडी फरवरी 2024 में पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत समेत उनके करीबियों और कई वन अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी भी कर चुकी है।

पाखरो रेंज में टाइगर सफारी के लिए पेड़ों के अवैध कटान का मामला वर्ष 2021 में तब सामने आया था, जब राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने स्थलीय जांच की।

साथ ही शिकायत को सही पाते हुए जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की गई। इस प्रकरण की अब तक कई एजेंसियां जांच कर चुकी हैं। यह बात सामने आई है कि सफारी के लिए स्वीकृति से अधिक पेड़ों के कटान (163 के सापेक्ष 6000 से अधिक) के साथ ही बड़े पैमाने पर बिना वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति के निर्माण कराए गए।

सुप्रीम कोर्ट की उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने इस प्रकरण में तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह की भूमिका पर भी प्रश्न उठाते हुए उन्हें भी जिम्मेदार ठहराया था। भारतीय वन सर्वेक्षण की सेटेलाइट जांच में यहां छह हजार से ज्यादा पेड़ों के कटान की बात सामने आई थी। मामले में दो आईएफएस पर भी कार्रवाई की जा चुकी है।

मुख्यमंत्री धामी के आदेश पर दर्ज किया गया था पहला मुकदमा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेश पर वर्ष-2022 में विजिलेंस के हल्द्वानी सेक्टर में इस मामले मे मुकदमा दर्ज किया गया। जांच के बाद विजिलेंस ने एक आरोपी तत्कालीन रेंजर बृजबिहारी शर्मा को गिरफ्तार किया और इसके बाद 24 दिसंबर 2022 को पूर्व डीएफओ किशनचंद को भी गिरफ्तार कर लिया।

आरोपियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में विजिलेंस न्यायालय में आरोपपत्र भी दाखिल कर दिया था।

विजिलेंस ने उसी वर्ष 30 अगस्त को पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत के परिवार से संबंधित देहरादून में एक शिक्षण संस्थान और एक पेट्रोल पंप पर भी छापा मारा था। इस बीच उच्च न्यायालय के आदेश पर सीबीआइ ने विजिलेंस से जांच संबंधी दस्तावेज हासिल किए और मुकदमा दर्ज कर जांच शुरु की।

ईडी ने ऐसे हरक सिंह और उनके करीबियों पर कसा शिकंजा, 70 करोड़ की संपत्ति अटैच

ईडी ने हरक सिंह रावत से जुड़े कार्बेट टाइगर सफारी के घपले के साथ भूमि खरीद प्रकरण पर भी जांच शुरू की थी। ईडी फरवरी 2024 में दोनों मामलों में उत्तराखंड समेत हरियाणा व दिल्ली में 17 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी भी कर चुकी है।

जिसमें ईडी की 17 टीमों ने पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत के देहरादून में डिफेंस कालोनी स्थित आवास, उनके बेटे के सहसपुर के शंकरपुर स्थित दून इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज समेत उनसे जुड़े करीबी अधिकारियों उत्तराखंड के वरिष्ठ आइएफएस अधिकारी सुशांत पटनायक व पेड़ कटान में आरोपित सेवानिवृत्त प्रभागीय वनाधिकारी (डीएफओ) किशन चंद के हरिद्वार के आवास पर जांच की थी।

साथ ही हरक सिंह रावत के निजी सचिव रहे बीरेंद्र कंडारी के दून स्थित आवास, उनके करीबी नरेंद्र वालिया के ऋषिकेश में गंगानगर स्थित अपार्टमेंट, हरिद्वार रोड पर छिद्दरवाला स्थित लक्ष्मी राणा के अमरावती पेट्रोल पंप, काशीपुर में भाजपा के जिला मंत्री अमित सिंह के आलू फार्म स्थित आवास पर भी जांच की गई।

इसके अलावा हरक सिंह रावत के श्रीनगर गढ़वाल में श्रीकोट स्थित गहड़ के पैतृक आवास और उनके करीबियों के अन्य ठिकानों को कवर किया गया था।

छापेमारी में ईडी ने 1.10 करोड़ रुपये, 80 लाख रुपये का 1.3 किलो सोना, 10 लाख रुपये की विदेशी मुद्रा जब्त की थी। साथ ही उल्लेख किया गया था कि कार्रवाई में कई बैंक लॉकर्स, डिजिटल डिवाइस को सीज किया गया है और अचल संपत्ति के बड़ी संख्या में दस्तावेज जब्त किए गए हैं।

इसके बाद ईडी जरूरत पड़ने पर समन भेजकर हरक सिंह रावत समेत उनकी पत्नी दीप्ति रावत, पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं, लक्ष्मी राणा और अन्य को बुलाती आ रही है।

ईडी ने हरक सिंह पर सबसे बड़ी कार्रवाई जनवरी 2025 में तब की, जब उनके बेटे के सहसपुर के शंकरपुर स्थित दून इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज की 70 करोड़ रुपये की लागत की 101 बीघा भूमि प्रारंभिक रूप से अटैच कर दी थी।

IFS किशन की 31.8 करोड़ की संपत्ति जब्त कर चुकी ईडी

ईडी दिसंबर 2023 में अटैच की गई रिटायर्ड आईएफएस अधिकारी किशन चंद की हरिद्वार-रुड़की में स्थित 31.8 करोड़ रुपये की संपत्ति को जब्त कर चुकी है। इन संपत्ति में रुड़की में स्कूल, स्टोन क्रशर, भवन और भूमि शामिल हैं।