बिग ब्रेकिंग: हाईकोर्ट में नैनीझील में तैराकी पर लगी रोक हटाने की मांग

हाईकोर्ट में नैनीझील में तैराकी पर लगी रोक हटाने की मांग

नैनीताल। सरोवर नगरी नैनीताल की नैनी झील में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने तैराकी पर रोक लगा रखी है, उसी पर याचिकाकर्ता ने रिव्यू पिटीशन दायर की थी, जिस पर आज 22 अप्रैल को सुनवाई हुई है। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने भी मामले को गंभीरता से लिया।

कोर्ट ने कहा कि, नैनीताल शहर में व्यावसायिक गतिविधियों के अलावा बच्चों व नागरिकों के शारीरिक विकास के लिए कोई साधन उपलब्ध नहीं।

मात्र डीएसए के अलावा, वहां भी क्रिकेट और फुटबॉल मैच के अलावा कुछ और नहीं होत है, जबकि अन्य स्पोर्ट भी है, जहां कुछ बच्चों की रुचि हो सकती है, उन बच्चों को अन्य खेल से वंचित नहीं रखा जा सकता है, उनके अधिकारों का हनन हो रहा है।

कोर्ट ने आगे कहा कि, शायद ओलंपिक गेम में तैराकी खेल शामिल है, उनके तैराक गोल्ड मेडल लेकर अपने देश का नाम रोशन कर रहे है। ऐसी सुविधा नैनीताल में होनी चाहिए। आज मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश नरेंद्र व न्यायमूर्ती आलोक मेहरा की खंडपीठ में हुई।

मामले के अनुसार रिव्यू पिटीशन में कहा गया कि, यह मामला साल 2001 में दायर किया गया था, जिसका निस्तारण 2019 में हो गया था।

कोर्ट ने नैनीझील में स्वमिंग सहित कपड़े धोने पर रोक लगा दी थी, जिसे खोला जाय। सुनवाई के दौरान उत्तराखंड बार काउंसिल के अध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता डॉक्टर महेंद्र सिंह पाल ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा।

उन्होंने कहा कि इसे खुलना चाहिए। इसके खुलने से तैराकों को लेकर युवाओं का मनोबल बढ़ेगा। जल क्रीड़ा भी एक व्यायाम है।
कोर्ट ने उनसे कहा है कि वे अगली तिथि तक अपने सुझाव कोर्ट में पेश कर सकते है। साथ में कोर्ट हाइड्रोलॉजिस्ट व स्विमिंग स्पोर्ट्स एसोसिएशन की मदद लेने को भी कहा है।
कोर्ट ने पूछा कि झील का पानी तैराकी के लिए कैसा है और उसका टेंपरेचर कितना है, इसकी एक डिटेल जानकारी कोर्ट में पेश करें। नैनीताल में एक दो स्कूलों के अलावा किसी के पास स्विमिंग पूल नहीं है।
झील में जहां पर स्विमिंग कराई जा रही है, वह भी मानकों के विपरीत है। स्विमिंग कराने के लिए उनके पास कोई साधन तक नहीं है।