कृषि विभाग ने कर्मचारी के दबाए 14880 रुपये, नोटिस मिलते ही लौटाए
देहरादून। सरकारी अधिकारी किस तरह रोबोट की भांति काम करते हैं, इसका जीता जागता ताजा उदाहरण कृषि विभाग में सामने आया है। मुख्य कृषि अधिकारी कार्यालय हरिद्वार ने एक कर्मचारी को उसके 14 हजार 880 रुपए के भुगतान के लिए 13 साल दौड़ाए रखा।
वर्ष 2010-11 के बिल को पहले फर्जी बताकर ठंडे बस्ते में डाल दिया। इसके बाद जब वर्ष 2019 में जांच में क्लीनचिट मिली तो योजना के समाप्त होने का हवाला देकर मामला रफादफा करने का प्रयास किया।
वह तो भला हो सूचना आयोग का जिसने, सूचना मांगने की मंशा का समाधान करते हुए न सिर्फ बट्टे खाते में चले गए भुगतान को कर्मचारी को वापस दिलाया, बल्कि उन्हें 10 हजार रुपए की क्षतिपूर्ति देने का आदेश भी मुख्य कृषि अधिकारी हरिद्वार को जारी किया।
मामला मुख्य कृषि अधिकारी हरिद्वार के कार्यालय से जुड़ा है। यहां तैनात रहे ब्रज भूषण ने वर्ष 2010-11 में अपने आइपीएम कार्यक्रम के अंतर्गत किए गए 14 हजार 880 रुपए के बिल का भुगतान मांगा। उस समय इन बिल को फर्जी बताकर लटका दिया गया था। वर्ष 2019 में जांच में क्लीनचिट मिल जाने के बाद उन्होंने फिर से भुगतान की मांग की।
जब ब्रज भूषण को भुगतान नहीं किया गया तो उन्होंने वर्ष 2021 में सूचना का अधिकार (आरटीआइ) में जानकारी मांगी। तय समय के भीतर संतोषजनक जानकारी उपलब्ध न कराए जाने पर प्रकरण सूचना आयोग पहुंचा।
प्रकरण पर सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने जनवरी 2023 में संबंधित अधिकारियों को आवश्यक जानकारी के साथ भुगतान करने के निर्देश जारी किए।
इसके बाद भी भुगतान न किए जाने से खिन्न अपीलार्थी ब्रज भूषण ने सूचना आयोग के समक्ष अप्रैल 2024 को शिकायत दायर की। जिस पर सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने नोटिस जारी किए।
जिसके बाद मुख्य कृषि अधिकारी हरिद्वार ने बिल स्वीकृत करने के नाम पर प्रकरण को निदेशालय भेज दिया। यहां से भी उच्चाधिकारियों ने समाधान की जगह प्रकरण को लटकाए रखा।
बाद में बताया गया कि जिस माइक्रोमोड योजना के अंतर्गत बिल पर भुगतान मांगा गया, वह अब बंद हो चुकी है। ऐसे में भुगतान करने में असमर्थता जताई गई। अधिकारियों के टालू रवैए को देखते हुए सूचना आयोग ने विभाग पर एक लाख रुपए के जुर्माने का नोटिस जारी कर दिया।
महज 14 हजार रुपए जारी न करने की मंशा पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगता देख अधिकारियों ने आनन फानन में भुगतान कर दिया। सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि जब भुगतान संभव था तो उसे पहले क्यों नहीं किया गया।
यह अधिकारियों की मंशा पर सवाल खड़े करता है। लिहाजा, भुगतान के लिए अपीलार्थी को दौड़ाने के लिए उन्हें 10 हजार रुपए की क्षतिपूर्ति देने का आदेश भी जारी किया गया।
इस राशि को मुख्य कृषि अधिकारी एक माह के भीतर अपीलार्थी ब्रज भूषण को जारी करेगा। साथ ही आदेश की प्रति इस आशय के साथ कृषि महानिदेशक को भेजी गई कि वह विभागीय कार्यप्रणाली को पारदर्शी, व्यवस्थित और जवाबदेह बनाने की दिशा में प्रभावी कदम उठाएंगे