बड़ी खबर: ऊर्जा निगम की लापरवाही के कारण सड़क के नीचे हुआ धमाकेदार ब्लास्ट

ऊर्जा निगम की लापरवाही के कारण सड़क के नीचे हुआ धमाकेदार ब्लास्ट

देहरादून। राजधानी देहरादून में बिजली की लाइनों को भूमिगत करने की दिशा में ऊर्जा निगम की बेहद गंभीर लापरवाही उजागर हुई है।

रविवार को कारगी रोड पर सड़क निर्माण के दौरान भूमिगत की गई बिजली की हाईटेंशन लाइन में ऐसा ब्लास्ट हुआ कि सभी के रोंगटे खड़े हो गए। यह ब्लास्ट या बर्स्ट जमीन के भीतर जहां पर हुआ, उसका पूरा भाग काला पड़ गया था।

दरअसल, लोनिवि निर्माण खंड देहरादून की मशीनरी जेसीबी से सड़क की खुदाई कर रही थी, तभी उसके पंजे का एक भाग भूमिगत की गई बिजली की केबल से जा टकराया। गनीमत रही कि कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ, हालांकि इस दुर्घटना में पूरे क्षेत्र की बत्ती जरूर गुल हो गई।

प्रकरण की जब पड़ताल की गई तो पता चला कि यह कोई संयोगवश हुआ हादसा नहीं था, बल्कि यह विशुद्ध अनदेखी का परिणाम है। क्योंकि, ऊर्जा निगम ने जब बिजली की लाइन को भूमिगत किया तो उसे सिर्फ 30 सेंटीमीटर की गहराई में डाल दिया गया।

ऐसा भी नहीं है कि ऊर्जा निगम के क्षेत्रीय अभियंताओं ने अज्ञानतावश यह काम किया है। जब ऊर्जा निगम बिजली की लाइन को भूमिगत करने का काम कर रहा था, तभी लोनिवि निर्माण खंड ने उसे टोक दिया था।

लोनिवि के 03 जून 2024 को ऊर्जा निगम के अधिशासी अभियंता (दक्षिण) को भेजे गए पत्र के मुताबिक बिजली की लाइन को 1.50 मीटर गहराई में डालने का सुझाव दिया गया था।

पत्र में साफ कहा गया था कि कम गहराई में बिजली की लाइन को बिछाने से बिजली आपूर्ति बाधित होने के साथ ही जानमाल की हानि का अंदेशा भी बना रहेगा।

यह इसलिए कहा गया था कि लोनिवि और अन्य विभागों के विकास कार्यों के चलते सड़क की खुदाई की जरूरत पड़ सकती है।

इसके बाद भी ऊर्जा निगम के अभियंताओं की कानों में जूं तक नहीं रेंगी। यहां तक कि लोनिवि के लिखित और मौखिक आग्रह/निर्देश का भी कोई असर नहीं पड़ा। जिसकी परिणीति रविवार को तब देखने को मिली, जब इस सड़क पर जेसीबी से खुदाई की जा रही थी। उसी दौरान जेसीबी से बिजली की केबल कट गई।

गनीमत यह रही कि इससे हुए ब्लास्ट के समय जेसीबी ऑपरेटर का शरीर लोहे या बिजली के सुचालक के संपर्क में नहीं था। अन्यथा कोई भी बड़ी दुर्घटना घट सकती थी।

गंभीर यह भी है कि इस तरह की बड़ी लापरवाही उस परियोजना में की गई है, जिसके तहत देहरादून में 650 करोड़ रुपये की लागत से बिजली की 475 किलोमीटर लंबी लाइनों को भूमिगत किया जाना है।

यदि अन्य जगह भी इसी तरह कम गहराई में बिजली की लाइनों को डाला जा रहा है या डाला गया है तो यह पूरी योजना की सफलता और सुरक्षा के पालन पर गंभीर सवाल है।