बड़ी खबर: कुदरत का कहर। कहीं नदी के जलस्तर से बढ़ी चिंता, कहीं भूकटाव का बना खतरा

कुदरत का कहर। कहीं नदी के जलस्तर से बढ़ी चिंता, कहीं भूकटाव का बना खतरा

देहरादून। क्षेत्र के लोगों ने पीएमजीएसवाई से पुल निर्माण का कार्य जल्द शुरू करने की मांग की है। बरसात के मौसम में जौनपुर ब्लॉक के सकलाना पट्टी में ग्राम चिफल्डी, गंवाली डांडा, तौलिया काटल, सौंदणा और रंगड़ गांव के लोगों की मुश्किलें बढ़ जाती है।

आपदा प्रभावित रंगड़ गांव, तौलिया काटल क्षेत्र के लोग 22 दिन से गांव में कैद होकर रह गए हैं। चिफल्टी नदी में अन्य दिनाें पानी कम होने पर ग्रामीण आरपार कर लेते हैं, लेकिन 22 दिन पूर्व नदी में आए उफान से लोगों की आवाजाही बंद हो गई है। बच्चे भी स्कूल नहीं जा पा रहे हैं।

2022 में नदी पर बना पैदल पुल और 2023 में ट्रॉली में बह गई है। क्षेत्र के लोगों ने पीएमजीएसवाई से पुल निर्माण का कार्य जल्द शुरू करने की मांग की है। बरसात के मौसम में जौनपुर ब्लॉक के सकलाना पट्टी में ग्राम चिफल्डी, गंवाली डांडा, तौलिया काटल, सौंदणा और रंगड़ गांव के लोगों की मुश्किलें बढ़ जाती है।

इन दिनों चिफल्टी नदी के उफान पर होने से लोग गांव से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। बच्चे भी स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। किसी को जरूरी काम के लिए रायपुर बाजार जाना पड़ गया, तो नदी में पानी कम होने के इंतजार के बाद वे जोखिम उठाकर नदी पार करने को मजबूर हैं।

2023 में ट्रॉली भी नदी में थी बह गई

तौलिया काटल की प्रधान रेखा, क्षेत्र पंचायत सदस्य पवित्रा देवी और पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य ओम प्रकाश पंवार ने बताया कि वर्ष 2022 में पुरानी पैदल पुलिया नदी में बह गई थी। इस कारण उस बरसात के सीजन में इन गांवों में हेलीकॉप्टर से राशन भिजवाना पड़ा।

पुलिया बहने पर लोनिवि थत्यूड़ ने नदी के आरपार जाने के लिए ट्रॉली लगाई, लेकिन कुछ समय बाद ही 2023 में ट्रॉली भी नदी में बह गई। उसके बाद बरसात का सीजन काला पानी की सजा की तरह भुगतना पड़ रहा है। कोई सुध लेने वाला नहीं है

उन्होंने बताया कि दुबड़ा-रंगड़ गांव 15 किमी मोटर मार्ग पर चिफल्टी नदी पर पुल बनना था, लेकिन अभी तक उस पर 10 प्रतिशत काम भी नहीं हो पाया है। ग्रामीणों ने पुल निर्माण की धीमी कार्य प्रगति पर नाराजगी जताते हुए पीएमजीएसवाई से अगले बरसात के सीजन से पहले पुल तैयार करने की मांग की है।

दुबड़ा-रंगड़ गांव मोटर मार्ग के नौ किमी पर 1.9 करोड़ रुपये की लागत से 30 मीटर पुल प्रस्तावित था, लेकिन बारिश के कारण अब पुल का स्पान बढ़कर 48 मीटर हो गया है। नए स्पान का पुल बनाने के लिए जनवरी 2024 में शासन को 3.67 करोड़ का प्रस्ताव फिर से भेजा गया है। बजट मिलते ही पुल निर्माण कार्य शुरू करा दिया जाएगा। – जीपी नौटियाल, EE PMJSY द्वितीय नई टिहरी।

केदारनाथ क्षेत्र में भू-कटाव बन रहा सबसे बड़ा कारण

चोराबाड़ी से गौरीकुंड तक 18 मीटर वर्टिकल ढलान पर मंदाकिनी नदी बह रही है। बारिश में उफान पर बहती नदी से व्यापक स्तर पर भू-कटाव हो रहा है।

चोराबाड़ी ग्लेशियर से निकलने वाली मंदाकिनी नदी का तीखा ढलान और तेज बहाव केदारनाथ क्षेत्र में भू-कटाव का सबसे कारण बन रहा, जिससे भूस्खलन की घटनाएं बढ़ रही हैं। बारिश होते ही मंदाकिनी नदी का जलस्तर बढ़ने के साथ ही वेग अधिक हो गया है।

उद्गम स्थल से गौरीकुंड तक करीब 20 किमी क्षेत्र में नदी संकरी घाटी से होकर गुजर रही है, जहां कुछ देर की बारिश में जलस्तर बढ़ जाता है, जिससे भू-कटाव अधिक होने से भूस्खलन की घटनाएं भी प्रतिवर्ष बढ़ रही हैं। बावजूद इसके यहां सुरक्षा के ठोस उपाय नहीं किए जा रहे हैं

तीखा ढलान व संकरी घाटी से कुछ देर की बारिश में बढ़ जाता है नदी का जलस्तर

गढ़वाल विवि के भू-विज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. यशपाल सुंदरियाल ने बताया, नदी उद्गम स्थल से नदी का स्पान कम होने के साथ ही ढलान भी है, जो केदारनाथ तक समान है। लेकिन, केदारनाथ से गौरीकुंड तक मंदाकिनी नदी अत्यधिक ढलान के साथ संकरी घाटी में बहती है, जिससे इसका वेग अधिक है।

हिमालय क्षेत्र से निकलने वाली नदियों में मंदाकिनी अपने शुरुआती मार्ग में सबसे अधिक ढलान पर बह रही है। मंदाकिनी नदी लगभग 94 किमी का सफर तय कर रुद्रप्रयाग में अलकनंदा नदी से मिलती है।

बताया, नदी अपने शुरुआती 20 किमी क्षेत्र में चोराबाड़ी ग्लेशियर से गौरीकुंड तक संकरी वी-आकार की घाटी के साथ ही करीब 18 मीटर वर्टिकल ढलान में बह रही है, जो इसके वेग को रफ्तार देता है।

तीखा ढलान व संकरी घाटी से कुछ देर की बारिश में नदी का जलस्तर बढ़ जाता है। ग्रीष्मकाल से बरसात तक नदी केदारनाथ से गौरीकुंड तक खतरे के निशान पर बहती है, जिससे पूरे क्षेत्र में व्यापक स्तर पर भू-कटाव भी हो रहा है।

बादल फटा, मंदाकिनी का जलस्तर बढ़ने से बहाव में आई तेजी

सुंदरियाल के मुताबिक, जून 2013 की आपदा के बाद से मंदाकिनी नदी के बहाव और रफ्तार में तेजी आई है, जिससे क्षेत्र में भू-कटाव भी तेजी से हो रहा है।

नदी तल से लगातार भू-कटाव से केदारनाथ से गरुड़चट्टी और बेस कैंप से रामबाड़ा क्षेत्र तक भूस्खलन हो रहा है। 31 जुलाई की देर शाम को बादल फटने से मंदाकिनी नदी का जलस्तर बढ़ने से बहाव में तेजी आई।

इससे जगह-जगह जमीन कटी और पैदल मार्ग कई जगहों पर क्षतिग्रस्त हुआ है। नदी के उफान का असर गौरीकुंड से लेकर सोनप्रयाग तक भी हुआ है, जिससे यहां हाईवे सहित नदी किनारे भारी कटाव हुआ है।

आपदा के बाद मंदाकिनी के बहाव को नियंत्रित करने के लिए सर्वेक्षण कर केदारनाथ से रुद्रप्रयाग तक फ्लड जोन चिह्नित किए गए थे, जहां पर सिंचाई विभाग के जरिए सुरक्षा कार्य होने थे, लेकिन 11 साल बीतने के बाद भी ऐसा नहीं हो सका।

कम ऊंचाई पर होने से होती है बादल फटने की घटना

केदारनाथ वी-आकार की घाटी में बसा है, जहां वर्षभर में अधिकांश समय बारिश होती है। बादलों में अत्यधिक नमी होने से वह कम ऊंचाई पर होते हैं, जिससे अक्सर बारिश होती है।

कई बार एक ही स्थान पर बादलों का समूह अत्यधिक नमी से अपेक्षाकृत ऊंचाई तक नहीं पहुंच पाता है, जिससे एक ही स्थान पर भारी से भारी बारिश होने लगती है, जो बादल फटना कहलाती है।

हिमालय क्षेत्र में निकलने वाली नदियों में मंदाकिनी का वेग और ढलान सबसे अधिक है, जिससे भूस्खलन व भू-धंसाव हो रहा है। साथ ही संकरे क्षेत्र में बहने से कुछ देर की बारिश में ही नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच जाता है।

जरूरी है कि केदारनाथ क्षेत्र में नदी के दोनों ओर चरणबद्ध तरीके से सुरक्षा कार्य किए जाएं, जिससे धाम को सुरक्षित किया जा सके। –प्रो.यशपाल सुंदरियाल, पूर्व विभागाध्यक्ष भू-विज्ञान विभाग, HHBKVV श्रीनगर गढ़वाल

कमेड़ा में पहाड़ी से गिरा भारी बोल्डर, लोगों की अटकी सांसें

बदरीनाथ हाईवे के पास एक बड़ा हादसा होने से टल गया। पहाड़ी से अचानक बोल्डर गिरने से कार सवार यात्रियों की जान पर बन आई।

बदरीनाथ नेशनल हाईवे पर गौचर कमेड़ा के पास पहाड़ी से बोल्डर आने से एक कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई। गनीमत रही कि यात्री बाल बाल बच गए और बड़ा हादसा होने से टल गया।

कर्णप्रयाग से ऋषिकेश की ओर एक कार जा रही थी। तभी अचानक पहाड़ी से बोल्डर गिरने लगे। यह देख कार में बैठे लोगों की सांसें अटक गई। किसी तरह की कोई हानि नहीं हुई है। कार को धक्का मारकर निकालने की कोशिश की गई। फिलहाल हाईवे बंद है।

प्रदेश में बारिश आफत बनकर बरस रही है। जिससे मार्गों में जगह-जगह मलबा आने से 4 राज्यमार्ग समेत 87 मार्ग बंद हो गए हैं। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के मुताबिक बंद मार्गों को खोलने का प्रयास किया जा रहा है।

बारिश के बाद देहरादून जिले के दूधली-मोथरोवाला मार्ग में मलबा आ गया है। मार्ग में सीवर लाइन की खुदाई के काम के चलते पहले ही मार्ग जगह-जगह से क्षतिग्रस्त है।

अब मलबा आने से डोईवाला से दूधली होते हुए देहरादून जाने व वापस लौटने वाले यात्रियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इससे स्थानीय लोगों को भी परेशानी उठानी पड़ रही है। लोगों का कहना है कि मार्ग की इस हालत के चलते दुर्घटना का खतरा बना।