देहरादून। आज हम सभी एक खुले लोकतंत्र में रहते है। खुले लोकतंत्र में जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए ही कानून व्यवस्था को बनाया गया है ताकि देश का हर एक नागरिक कानून का पालन करे और कानून की मर्यादा से परे हट कर कोई भी कार्य न करे। अगर कोई भी ऐसा करता है तो उसके लिए दंड का प्राविधान भी है। लेकिन जब हमारे पुलिसकर्मी ही कानून के नियमों का उलंघन करते हुए नजर आते है, तो उन्हें देख बहुत आश्चर्य होता है कि, जब यह खुद ही नियमों का पालन करना नहीं सिख पाए तो जनता और युवा पीढ़ी को सिखाने का ढोंग आखिर क्यों करते है?
वैसे तो अक्सर सोशल मीडिया व अखबारों में बिना हेलमेट वाहन चलाते या नियमों का उलंघन करते हुए पुलिसकर्मियों की फ़ोटो वायरल होती ही रहती है। लेकिन फिर भी इस पर कोई सुधार की स्तिथि नजर नही आती। जब खुद में ही सुधार नही है तो आम जनता और युवाओं को नियमों का पालन करना सिखाने को ढोंग क्यों करते है हमारे पुलिस कर्मी। बीते कुछ रोज टाईम विटनेस ने शहर की सड़कों पर अलग-अलग नजारे हमारे पुलिस कर्मियों के देखे जहां पर पर बिना हेलमेट वाहन चला रहे हमारे पुलिस के जांबाज सिपाही अपनी स्कूटी को इस तरह रायपुर रोड की तरफ दौड़ा रहे थे कि दृश्य देखने लायक था। आश्चर्य तब हुआ जब सिपाही के पीछे बैठी अन्य दो महिला पुलिस कर्मी बिना हेलमेट के थी। अब इस नजारे को देख तो यही कहावत याद आती है कि, सैयां भय कोतवाल तो अब डर काहे का। खैर बात यही तक नही थमती ठीक उसी दिन देहरादून के लालपुल चौक का यह दृश्य जहाँ पर लालबत्ती बंद पड़ी हुई थी एक पुलिस कर्मी जो यातायात को सही तरीके से चलाने की कोशिश कर रहा था।
उसकी मौजूदगी के बाद भी यातायात आप देख सकते है कि कहां पर ज़ेबरा क्रासिंग बनी है और कहां पर आकर ट्रैफिक रुका हुआ है इस ट्रैफिक में कुछ लोग बिना हेलमेट के यातायात कर रहे थे लेकिन उन्हें देखने वाला कोई नही क्योंकि जब पुलिस ही बिना हेलमेट घूमेगी तो जाहिर है कि लोग तो नियमों का उलंघन करेंगे ही। खैर आज हमारे राज्य की पुलिस सिर्फ ढोंग प्रकट करने में जुटी हुई है क्योंकि, मित्रता सेवा सुरक्षा ये तीनो शब्द सिर्फ थाने चौकियों में लगे बोर्ड पर ही नजर आते है हमारे पुलिस कर्मियों के अंदर यह तीनों गुण देखने से नजर ही नहीं आते। ऐसा लगता है कि इन शब्दों से इनका दूर-दूर तक कोई नाता ही नहीं है।क्योंकि, मित्रता जो हमारी पुलिस करती नहीं, सेवा जो वह सिर्फ बड़े नेताओं की या खुद की करते है और सुरक्षा के लिए थाने जाने वाले लोगों को या तो डराया जाता है या नए कानून सिखाये जाते है। राज्य में चालक एवं परिचालक दोनों को ही हेलमेट पहनना अनिवार्य है।
लेकिन कुछ दिन तो पूरे शहर भर में यह मुहिम चलाई गई। यहां तक कि सीपीयू ने लोगों के साथ सेल्फी लेकर अख़बारों में अपनी जगह भी बनाई और कुछ दिनों तक नियम का पालन न करने वाले लोगों के चालान भी काटे गए। लेकिन फिर से वही स्तिथि शहर में हो गयी है लोगों का बिना हेलमेट घूमना या परिचालक का बिना हेलमेट घूमना चालू हो गया है। जिसे देखने या रोकने वाला कोई नज़र नही आता। हाँ 15-20 दिन में एक बार फिर से अब शहर के कई चौक पर खड़े होकर चालान काटे जाएंगे और उस एक दिन में यह सोचा जाएगा कि पूरे महीने का काम हो गया। जब तक हमारे पुलिस कर्मी ही नियमो का पालन नही करेंगे तब तक लोग भी जागरूक होकर पालन नही करेंगे इसलिए पहले इन्हें खुद सीखना होगा उसके बाद लोगों को सिखाना होगा।