इस सरकारी दामाद पर चलेगा धामी सरकार का चाबुक? अक्सर कार्यालय से रहते हैं नदारद
रिपोर्ट- सलमान मलिक
रुड़की। सरकारी सिस्टम को सुधारने के लिए सीएम को खुद मैदान में उतरना पड़ रहा है, लेकिन कुछ सरकारी दामाद इससे भी सबक नहीं ले रहे है। दफ्तरों से नदारत रहना मानों इनका पेशा बन चुका है, इनको आमजन की सेवा-सुरक्षा से कोई सरोकार नहीं, सरकार की रोटियों पर पलने वाले कुछ सरकारी नौकरों की आदत इतनी खराब हो चुकी है कि, वह चाहकर भी सिस्टम में पैठ नही बैठा पाते, जिसका खामियाजा आमजन को भुगतना पड़ता है।
कुछ ऐसा ही नजारा रुड़की खाद्य पूर्ति कार्यालय में दिखाई पड़ता है। कार्यालय में तैनात नारसन ब्लॉक के पूर्ति निरीक्षक दिनेश शर्मा अक्सर कुर्सी से नदारत मिलते है, दूर-दराज से आने वाले फरियादी (ग्रामीण) कई-कई घण्टे इंतजार के बाद बैरंग वापस लौटते है, बिडम्बना ये है कि, शिकायत के बाद भी इन साहब पर कोई फर्क नही पड़ता।
अधिकारियों के आदेश, ये जूते की नोंक पर रखते है, तभी उच्चाधिकारियों के कहने के बावजूद सरकारी बाबू अपनी कार्यशैली में बदलाव नहीं ला पा रहे है, पूर्ति निरीक्षक का ये कारनामा जगजाहिर है और पूरे डिपार्टमेंट में चर्चाओं का विषय बना हुआ है।
आपको बता दे कि, अलग-अलग क्षेत्रों की खाद्य पूर्ति निरीक्षक रुड़की कार्यालय में बैठकर क्षेत्रीय लोगों की समस्याओं का समाधान करते है। इन्हीं पूर्ति निरीक्षकों में एक निरीक्षक जिन पर नारसन ब्लॉक की जिम्मेदारी है, पूरे विभाग पर सवालियां निशान लगा रहे है।
जी हां, नारसन ब्लॉक के खाद्य पूर्ति निरीक्षक दिनेश शर्मा की कुर्सी अक्सर खाली देखी जाती है, ग्रामीण दूर-दराज से अपनी फरियाद लेकर कार्यालय पहुँचते है, लेकिन साहब नदारत मिलते है, घण्टों-घण्टों इंतजार के बाद लोगों को खाली हाथ लौटना पड़ता है, बिडम्बना यह कि, कार्यालय में तैनात अन्य कर्मियों को भी दिनेश शर्मा की खबर नहीं रहती।
ग्रामीणों का आरोप ये भी है कि, जब उनसे संपर्क करने का प्रयास किया जाता है, तो या तो उनका फोन बंद मिलता है और अगर खुला हो तो वह नहीं उठाते। क्षेत्रीय लोगों ने उच्चाधिकारियों से भी शिकायत की, बाकायदा तहसील दिवस में भी अधिकारियों ने पूर्ति निरीक्षक को नसीहत बख्शी लेकिन साहब अपनी कार्यशैली बदलने को तैयार नहीं है।
सूत्र तो यहां तक बताते है कि, दफ्तर के अन्य कर्मी भी इनकी कार्यशैली से तंग आ चुके है, लोगों को जवाब देते-देते वो थक चुके है, लेकिन साहब पर कोई फर्क नहीं पड़ता। ग्रामीणों के मुताबिक़ गाँव के राशन डीलर अपनी मनमानी कर रहे है और अगर वो शिकायत करने दफ्तर आते है, तो उन्हें महोदय नदारत मिलते है।
इस मामले में हरिद्वार डीएसओ का कहना है कि, यदि पूर्ति निरीक्षक ऐसा कर रहे है, तो इसकी जांच कराई जाएगी, काम के प्रति लापरवाही किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं होगी।