बिग ब्रेकिंग: फ्रूट बेल्ट में स्टोन क्रशर पर हाईकोर्ट सख्त, निर्माण और संचालन पर तत्काल रोक

फ्रूट बेल्ट में स्टोन क्रशर पर हाईकोर्ट सख्त, निर्माण और संचालन पर तत्काल रोक

नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने रामनगर क्षेत्र के ग्राम पापड़ी में निर्माणाधीन एक विवादित स्टोन क्रशर इकाई पर कड़ा रुख अपनाते हुए उसके निर्माण और संचालन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है।

न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने सतनाम सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट निर्देश दिए कि अगले आदेश तक साइट पर कोई भी कार्य नहीं किया जाएगा।

फ्रूट बेल्ट में उद्योग, नियमों की अनदेखी का आरोप

याचिका में कहा गया है कि जिस भूमि पर स्टोन क्रशर का निर्माण किया जा रहा है, वह राज्य सरकार द्वारा घोषित ‘फ्रूट बेल्ट’ के अंतर्गत आती है। नियमों के अनुसार, कृषि और फल पट्टी क्षेत्रों में भारी औद्योगिक इकाइयों की स्थापना प्रतिबंधित है। आरोप है कि इसके बावजूद प्रशासन ने निजी कंपनी को अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर दिया।

नहर और बरसाती नाले को पाटने का गंभीर आरोप

याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि स्टोन क्रशर स्थल पर सिंचाई विभाग की 4 मीटर चौड़ी सरकारी गूल (नहर) और लगभग 14 मीटर चौड़े प्राकृतिक बरसाती नाले को अवैध रूप से पाट दिया गया। इससे स्थानीय किसानों की सिंचाई व्यवस्था बाधित हुई है और मानसून में पूरे गांव में बाढ़ का खतरा उत्पन्न हो गया है।

भ्रामक निरीक्षण रिपोर्ट का आरोप

याचिकाकर्ता का कहना है कि खनन विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने निजी कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए भ्रामक निरीक्षण रिपोर्ट तैयार की। रिपोर्ट में सरकारी प्राथमिक विद्यालय, मंदिर और आश्रम की वास्तविक दूरी को गलत दर्शाया गया, ताकि मानकों का उल्लंघन छिपाया जा सके।

स्कूल जाने का रास्ता भी बाधित

निर्माण कार्य के चलते गांव के बच्चों के स्कूल जाने का मुख्य रास्ता भी बाधित हो गया है। ग्रामीणों ने वर्ष 2018 से ही इस परियोजना का विरोध करते हुए कई बार जिलाधिकारी नैनीताल को ज्ञापन सौंपे, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद ग्रामीणों ने हाईकोर्ट की शरण ली।

कोर्ट का कड़ा संदेश

कोर्ट ने सभी निजी प्रतिवादियों को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि उनकी इकाई की अनुमति रद्द क्यों न की जाए। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत सामने आई, तो उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।

इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ए.एस. रावत और अधिवक्ता गौरव पालीवाल ने पैरवी की। प्रतिवादियों में उत्तराखंड शासन, जिलाधिकारी नैनीताल, निदेशक खनन, जिला खान अधिकारी और निजी कंपनी मेसर्स पी फाउल स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं।

फिलहाल कोर्ट के आदेश के बाद क्षेत्र में स्टोन क्रशर का काम पूरी तरह ठप है। अगली सुनवाई में कोर्ट दस्तावेजों, फोटोग्राफ्स और मानचित्रों की विस्तृत जांच करेगा।

बार काउंसिल चुनाव की तिथि आगे बढ़ाने की मांग

उत्तराखंड हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने राज्य बार काउंसिल चुनाव की तिथि आगे बढ़ाने की मांग की है। इस संबंध में हाई पावर कमेटी को पत्र भेजा गया है।

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष डी.सी.एस. रावत की अध्यक्षता में आयोजित पत्रकार वार्ता में बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड के अध्यक्ष डॉ. महेंद्र पाल ने बताया कि हाईकोर्ट में 11 जनवरी से 4 फरवरी तक शीतकालीन अवकाश रहेगा।

इसके अलावा पर्वतीय जिलों में 31 जनवरी तक सिविल मामलों की सुनवाई नहीं होती। उन्होंने कहा कि अवकाश के कारण अधिवक्ता प्रत्याशी मतदाताओं से संपर्क नहीं कर पाएंगे, जिससे चुनाव प्रक्रिया प्रभावित होगी।

इसलिए 4 फरवरी के बजाय 8 फरवरी के बाद चुनाव कराए जाएं और मतदाता सूची को भी अपडेट किया जाए।

डीसीएस रावत ने कहा कि यदि 4 फरवरी को मतदान होता है, तो पर्वतीय क्षेत्रों के अधिवक्ता, विशेषकर हाईकोर्ट के वकील, मतदान से वंचित रह जाएंगे। इससे बार काउंसिल में पर्वतीय क्षेत्र का उचित प्रतिनिधित्व नहीं हो पाएगा।