उत्तराखंड में फर्जी ITC के जरिए करोड़ों की TAX चोरी का खुलासा
रिपोर्ट- राजकुमार धीमान
उत्तराखंड में जीएसटी के तहत पंजीकृत कई फर्मों द्वारा इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) को कर चोरी का जरिया बनाए जाने का बड़ा मामला सामने आया है।
राज्य कर विभाग की जांच में खुलासा हुआ है कि बिना किसी वास्तविक खरीद-फरोख्त के, केवल कागजों पर दिखाए गए लेन-देन और फर्जी बिलों के आधार पर इन फर्मों ने सरकार से करोड़ों रुपये का आईटीसी हड़प लिया।
जांच के दौरान सामने आया कि कोटद्वार में इंगट निर्माण से जुड़ी दो फर्में लंबे समय से पूरी तरह बंद पड़ी थीं। न तो वहां किसी प्रकार का उत्पादन हो रहा था और न ही बिजली कनेक्शन चालू था। इसके बावजूद इन फर्मों ने फर्जी बिलों के जरिए कारोबार दर्शाकर आईटीसी का लाभ लिया।
आयुक्त राज्य कर सोनिका के निर्देश पर विशेष अनुसंधान शाखा (SIB) हरिद्वार की टीम ने इन फर्मों पर छापेमारी की। दो दिन तक चली जांच में कर चोरी के ठोस साक्ष्य मिले। कार्रवाई तेज होते ही दोनों फर्मों ने 30 लाख रुपये सरकारी खजाने में जमा कराए।
इसी क्रम में रुद्रप्रयाग में वर्क कांट्रेक्ट से जुड़ी एक फर्म भी जांच के दायरे में आई। हालांकि फर्म सक्रिय पाई गई, लेकिन आईटीसी के नाम पर अपनाया गया कर चोरी का तरीका कोटद्वार की फर्मों से मिलता-जुलता पाया गया। जांच के बाद फर्म संचालक ने 2.08 करोड़ रुपये राजस्व विभाग को जमा कराए।
राज्य कर विभाग के अनुसार अब तक कुल 2.39 करोड़ रुपये की वसूली की जा चुकी है, जबकि जांच अभी जारी है। अधिकारियों का कहना है कि कर चोरी की वास्तविक राशि इससे कहीं अधिक हो सकती है और आने वाले दिनों में और बड़े खुलासे होने की संभावना है।


