बिग ब्रेकिंग: दिल्ली रैली से पहले कांग्रेस में उठा सियासी तूफान। रुद्रपुर बैठक में हंगामा, दिल्ली में शैलजा ने बनाई रणनीति

दिल्ली रैली से पहले कांग्रेस में उठा सियासी तूफान। रुद्रपुर बैठक में हंगामा, दिल्ली में शैलजा ने बनाई रणनीति

रुद्रपुर/दिल्ली। कांग्रेस की 14 दिसंबर को दिल्ली में होने वाली ‘वोट चोर गद्दी छोड़’ रैली से पहले उत्तराखंड कांग्रेस में जबरदस्त हलचल देखने को मिली।

एक ओर रुद्रपुर में रैली की तैयारियों को लेकर बुलाई गई बैठक विवादों में घिर गई, वहीं दूसरी ओर दिल्ली में पार्टी प्रभारी कुमारी शैलजा की अध्यक्षता में हुई महत्वपूर्ण बैठक में बड़े नेताओं ने जुटकर रैली की रणनीति को अंतिम रूप दिया।

रुद्रपुर में तैयारी बैठक हंगामेदार, पार्षद–अध्यक्ष आमने-सामने

रुद्रपुर के सिटी क्लब में मंगलवार को आयोजित कांग्रेस की जिला स्तरीय बैठक में उस समय हंगामा खड़ा हो गया जब कांग्रेस पार्षद परवेज ने संगठन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, “खेड़ा में कार्रवाई के दौरान संगठन का कोई पदाधिकारी सामने नहीं आया। मुसलमानों को सिर्फ वोट बैंक समझा जाता है, उनका काम नहीं किया जाता।”

उनके आरोप सुनते ही नगर कांग्रेस अध्यक्ष ममता रानी भड़क उठीं। उन्होंने कहा, “शहर की जिम्मेदारी मुझे दी गई, पर कोई मेरे साथ खड़ा नहीं हुआ। पार्षदों-कार्यकर्ताओं को बुलाया, लेकिन समर्थन आज तक नहीं मिला। यहां तक कि चाय तक नहीं पूछी जाती।”

कुछ देर तक चली गर्म बहस को कार्यकर्ताओं ने बीच में आकर शांत कराया। किच्छा विधायक तिलक राज बेहड़ ने कहा कि दोनों नेताओं ने अपना दर्द जाहिर किया है, लेकिन 14 दिसंबर को जिला कांग्रेस बड़ी संख्या में दिल्ली पहुंचेगी।

दिल्ली में कुमारी शैलजा की बैठक: रैली की तैयारियां, संगठन मज़बूती पर फोकस

दिल्ली में आयोजित प्रदेश कांग्रेस की बैठक में प्रभारी कुमारी शैलजा, दोनों सहप्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्या, CWC सदस्य करन माहरा, और वरिष्ठ नेता हरक सिंह रावत सहित कई नेता शामिल हुए।

बैठक में संगठन की मजबूती, राज्य के ज्वलंत मुद्दे, जनता से जुड़े सवालों और आगामी राजनीतिक रणनीति पर विस्तृत बातचीत की गई। रैली में उत्तराखंड की भारी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए योजना बनाई गई।

कांग्रेस प्रदेश महामंत्री संगठन राजेंद्र भंडारी ने बताया कि, “दिल्ली के पर्यावरण नियमों के चलते बीएस-6 से नीचे के वाहन प्रवेश नहीं कर सकेंगे। डीजल वाहनों पर भी रोक है। कार्यकर्ताओं के मार्ग और मीटिंग पॉइंट तय कर लिए गए हैं।”

हरक सिंह की टिप्पणी से कांग्रेस की रणनीति प्रभावित

धराली हादसे को बड़ा मुद्दा बनाने की कांग्रेस की योजना तभी प्रभावित हुई जब वरिष्ठ नेता हरक सिंह रावत ने सिख समुदाय पर विवादित वक्तव्य दे दिया।

डैमेज कंट्रोल में कई दिन लगे—हरक सिंह ने गुरुद्वारे में क्षमा मांगी और सेवा की, वहीं पूर्व सीएम हरीश रावत ने भी जूता सेवा कर खेद जताया। इस सिलसिले ने कांग्रेस को धराली मुद्दे पर आक्रामक होने से रोका।

एक तरफ जहां दिल्ली की रैली को सफल बनाने के लिए कांग्रेस जुटी है, वहीं रुद्रपुर जैसी बैठकों में सामने आई अंदरूनी कलह संगठन की चुनौतियों को उजागर करती दिखाई दे रही है। अब 14 दिसंबर की रैली उत्तराखंड कांग्रेस की एकजुटता की वास्तविक परीक्षा होगी।