प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी बेनकाब? CMO के आदेश के बाद भी नहीं दिए आंकड़े
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने प्राइवेट अस्पतालों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
मोर्चा का आरोप है कि देहरादून के प्रमुख निजी अस्पताल ग्राफिक एरा, हिमालयन हॉस्पिटल, श्री महंत इंद्रेश अस्पताल और राजकीय दून मेडिकल कॉलेज आयुष्मान योजना वाले तथा निजी खर्च पर इलाज करा रहे गरीब मरीजों को आपातकालीन स्थिति में भी आईसीयू/वेंटिलेटर सुविधा उपलब्ध नहीं कराते।
‘सिफारिश पर ही मिलता है आईसीयू’, गरीब मरीज दर-बदर
मोर्चा अध्यक्ष ने कहा कि इन अस्पतालों में गंभीर अवस्था वाले बाह्य रोगियों को तभी आईसीयू/वेंटिलेटर बेड दिया जाता है जब “ऊपर से सिफारिश” आए। बिना सिफारिश वाले मरीज एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटकते रहते हैं।
आर्थिक रूप से कमजोर मरीज, जिनके पास किसी भी स्वास्थ्य योजना का कार्ड नहीं है, उन्हें लगभग भगवान भरोसे छोड़ दिया जाता है।
3 महीने से नहीं दिया आईसीयू/वेंटिलेटर का डेटा
गंभीर आरोपों के बाद मोर्चा ने CMO देहरादून से चारों अस्पतालों में उपलब्ध आईसीयू, वेंटिलेटर और बेड क्षमता का डेटा सार्वजनिक करने की मांग की थी।
- CMO कार्यालय ने 25 अगस्त 2025 को सभी अस्पतालों को पत्र भेजा।
- तीन महीने बीत गए, लेकिन किसी भी अस्पताल ने जानकारी उपलब्ध नहीं कराई।
इसके बाद 11 नवंबर को अनुस्मारक-प्रथम जारी किया गया, पर अस्पताल अब भी डेटा देने से कतरा रहे हैं।
डेटा देने में क्या डर? क्या गलत आंकड़ों पर मिली है मान्यता?
मोर्चा ने सवाल उठाया कि अस्पताल आखिर किस बात से भयभीत हैं?
- क्या गलत आंकड़े देकर मान्यता हासिल की गई?
- या फिर असलियत उजागर होने का डर है?
डेटा छिपाने की प्रवृत्ति यह संकेत देती है कि “कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर है।”
निजी अस्पतालों की मनमानी पर चलेगा चाबुक
रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि, मरीजों, खासकर गरीबों के साथ हो रहे अन्याय को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
मोर्चा प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी के खिलाफ कड़ा आंदोलन चलाएगा और मरीजों को न्याय दिलाने का काम करेगा।


