सूखाताल झील सौन्दर्यीकरण पर हाईकोर्ट सख्त, प्रगति रिपोर्ट से असंतुष्ट। 3 दिसंबर को अधिकारी तलब
नैनीताल। सूखाताल झील सौन्दर्यीकरण मामले में दायर स्वतः संज्ञान जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने आज जिलास्तरीय विकास प्राधिकरण (DDA) द्वारा पेश की गई प्रगति रिपोर्ट पर कड़ा असंतोष जताया।
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने कहा कि रिपोर्ट संतोषजनक नहीं है और अधिकारियों को 3 दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर मामले की अद्यतन स्थिति से अवगत कराने के निर्देश दिए।
अदालत ने यह भी जानना चाहा कि जुलाई 2024 में सौन्दर्यीकरण कार्यों पर लगी रोक हटाए जाने के बाद अब तक झील में कितना कार्य किया गया है।
साथ ही यह भी पूछा गया कि झील के किनारे चल रहे अतिक्रमण को लेकर क्या निर्णय लिया गया और क्या कार्रवाई की गई। अदालत ने निर्देश दिए कि इस संबंध में समुचित और स्पष्ट जानकारी अगली सुनवाई में दी जाए।
सुनवाई के दौरान प्राधिकरण की ओर से कहा गया कि सूखाताल झील को वैटलैंड घोषित किया जा रहा है। इस पर न्यायमित्र अधिवक्ता डॉ. कार्तिकेय हरि गुप्ता ने आपत्ति जताते हुए कहा कि वैटलैंड नियमों का अनुपालन किए बिना यह दावा उचित नहीं है। न्यायालय ने इस मामले में भी संबंधित विभाग को 3 दिसंबर तक स्थिति रिपोर्ट देने के लिए कहा।
न्यायमित्र डॉ. कार्तिकेय ने बताया कि जुलाई 2024 में हाईकोर्ट ने डी.डी.ए. को तीन महीने के भीतर सभी सौन्दर्यीकरण कार्य पूरा करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद 7 नवंबर को अदालत ने एक सप्ताह में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था, लेकिन रिपोर्ट अब तक दाखिल नहीं की गई।
उन्होंने कहा कि आज जो रिपोर्ट पेश की गई है, उसमें भी कोई ठोस प्रगति नहीं दिख रही और झील में सौन्दर्यीकरण का कार्य अभी शुरू तक नहीं हुआ है।
अदालत ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए निर्देश दिए कि संबंधित अधिकारी अगली सुनवाई यानी 3 दिसंबर को स्वयं अदालत में मौजूद रहें और सौन्दर्यीकरण कार्य, अतिक्रमण की स्थिति तथा वैटलैंड घोषणा से जुड़े सभी पहलुओं पर स्पष्ट जानकारी प्रस्तुत करें।


