आदि कैलाश में कड़ाके की सर्दी। 14,500 फीट पर पार्वती–गौरी कुंड बर्फ में तब्दील
पिथौरागढ़। उत्तराखंड के सीमांत पर्वतीय जिले पिथौरागढ़ में सर्दियों ने अपना तीखा रूप दिखाना शुरू कर दिया है। ऊँचे हिमालयी इलाकों में तापमान तेजी से गिर रहा है, और इसका सबसे प्रभावशाली दृश्य व्यास घाटी के ज्योलिंगकांग में देखने को मिल रहा है।
जहां 14,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित पवित्र आदि कैलाश के आधार पर पार्वती कुंड और गौरी कुंड बर्फ की परतों में बदल चुके हैं।
स्थानीय पर्यटक नरेंद्र सिंह रोंकली द्वारा साझा किए गए वीडियो में कुंडों के जमे जल का दृश्य सामने आया है, हालांकि फ़िलहाल इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।
जमे हुए पवित्र कुंड-हिमालय की गोद में अनोखा नज़ारा
रांगकांग निवासी रोंकली बताते हैं कि बीते चार दिनों से क्षेत्र में ठंड सामान्य से कहीं अधिक बढ़ गई है। पार्वती कुंड का लगभग 80–90 प्रतिशत भाग बर्फ से ढक चुका है, जबकि गौरी कुंड पूरी तरह जमकर सफ़ेद चादर में तब्दील हो गया है।
इस प्राकृतिक परिवर्तन ने आदि कैलाश की घाटी को एक रहस्यमयी, शांत और आध्यात्मिक वातावरण से भर दिया है जहाँ हवा भी देवालय जैसी गंभीरता लिए बहती है।
माइनस 10 तक गिरा तापमान, मुश्किलें बढ़ीं
कुटी ग्राम प्रधान नगेंद्र सिंह कुटियाल बताते हैं कि रात का तापमान लगातार माइनस 5 से माइनस 10 डिग्री तक पहुंच रहा है। शिव–पार्वती मंदिर के कपाट भले ही 5 नवंबर को बंद कर दिए गए हों, लेकिन श्रद्धा की राह ठंड से कम नहीं होती कुछ पर्यटक अब भी ॐ पर्वत और आदि कैलाश के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं।
कड़ाके की ठंड के बीच कुछ होटल संचालक और सुरक्षा कर्मी ही यहाँ मौजूद हैं, जिन्हें पानी जमने के कारण दैनिक कामकाज में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
यात्रा पर जारी है लोगों का रुझान
एसडीएम धारचूला जितेंद्र वर्मा बताते हैं कि हिमपात शुरू होने पर इनर लाइन पास बंद कर दिए जाएंगे। मंगलवार को 19 और बुधवार को 11 परमिट जारी हुए। अभी तक 36,461 श्रद्धालु आदि कैलाश दर्शन कर चुके हैं, यह संख्या क्षेत्र के प्रति लोगों की आस्था का बड़ा प्रमाण है।
आदि कैलाश- आध्यात्मिक सौंदर्य और आस्था का संगम
पिथौरागढ़ की ऊंची चोटियों के बीच स्थित आदि कैलाश को छोटा कैलाश भी कहा जाता है। यह पंच कैलाशों में शामिल है और शिव–पार्वती के निवास के रूप में श्रद्धालुओं के मन में दिव्य स्थान रखता है।
इसके आधार पर स्थित-
- गौरीकुंड (ज्योलिंगकांग झील)
- पार्वती ताल
दोनों ही धार्मिक महत्व के साथ-साथ अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य के प्रतीक हैं।
दिलचस्प तथ्य यह है कि आदि कैलाश को चीन के तिब्बत क्षेत्र में स्थित मूल कैलाश पर्वत का प्रतिरूप माना जाता है और शायद यही वजह है कि इसे देखने आने वालों को यहां आध्यात्मिक अनुभूति के साथ हिमालय की अनंत शांति भी महसूस होती है।


