झाड़ियों में छिपा था विस्फोटक सच, पुलिस ने परत-दर-परत खोला पूरा राज
अल्मोड़ा जिले के सल्ट क्षेत्र में पिछले दिनों उस समय हड़कंप मच गया जब राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, डभरा के नज़दीक झाड़ियों से 161 जैलेटिन ट्यूबें बरामद हुईं।
घने जंगलों के बीच विस्फोटक सामग्री का इस तरह मिलना किसी बड़े खतरे की आशंका जगाने के लिए काफी था।
लेकिन शुरुआती सनसनी से लेकर आरोपी की गिरफ्तारी तक, अल्मोड़ा पुलिस ने जिस तेज़ी और सटीकता से इस पूरे मामले को सुलझाया, उसने न केवल क्षेत्र में फैली दहशत को शांत किया, बल्कि जांच की बारीकियों को भी बेहद साफ़ तरीके से उजागर किया।
यह सिलसिला 21 नवंबर की रात शुरू हुआ, जब स्कूल के पास झाड़ियों में विस्फोटक जैसे दिखने वाली बड़ी मात्रा में जैलेटिन ट्यूबें देखी गईं। सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासन हरकत में आ गए।
मामला संवेदनशील था, इसलिए एसएसपी देवेंद्र पींचा ने पूरे प्रकरण को प्राथमिकता से लेते हुए तत्काल विशेष जांच शुरू करवाई। एएसपी हरबंस सिंह और सीओ रानीखेत विमल प्रसाद के नेतृत्व में चार टीमें गठित की गईं, ताकि इलाके के हर सुराग की गहनता से जांच की जा सके।
इसी के साथ बम डिस्पोज़ल स्क्वाड, डॉग स्क्वाड, एलआईयू, आईआरबी और स्थानीय पुलिस की संयुक्त टीमों ने रातभर क्षेत्र में तलाशी अभियान चलाया और घटनास्थल के आसपास संभावित खतरों को निष्प्रभावी किया।
जांच के शुरुआती चरणों में ही पुलिस को अंदेशा हो चुका था कि जैलेटिन ट्यूबें किसी अवैध गतिविधि का हिस्सा नहीं थीं, लेकिन वे यहाँ कैसे पहुँचीं, यह अभी भी रहस्य था।
गहन पड़ताल और तकनीकी विश्लेषण के बाद पुलिस की नज़र प्रशांत कुमार बिष्ट, उम्र 35 वर्ष, निवासी गरसारी, पाटी चंपावत पर जाकर ठहरी। मंगलवार को उसे हिरासत में लिया गया, जहाँ पूछताछ में उसने पूरे मामले की परतें खुद ही खोलकर रख दीं।
प्रशांत ने बताया कि वह वर्ष 2016–17 में तीन किलोमीटर सड़क निर्माण का ठेकेदार था। कार्य के दौरान 2018 में एक जगह कठोर चट्टान आने पर, उसके सहयोगी लवी ने कहीं से जैलेटिन ट्यूबें और संबंधित सामग्री का प्रबंध किया था। काम पूरा होने के बाद ये विस्फोटक सामग्री प्रशांत के किराये के कमरे में ही पड़ी रह गई थी।
वर्षों तक उसने कमरे को खाली नहीं किया और यह सामान वहीं धूल खाता रहा। जून 2025 में मकान मालिक हिम्मत सिंह ने उससे बार-बार संपर्क करने की कोशिश की पर वह कमरे को खाली कराने नहीं आया। अंततः मजबूर होकर मकान मालिक ने ताला खुलवाकर कमरे की सफाई कराई।
सफाई में लगे मजदूरों को विस्फोटक सामग्री की जानकारी नहीं थी, इसलिए उन्होंने इसे अन्य टूटे-फूटे सामान के साथ उठाकर नज़दीकी झाड़ियों में फेंक दिया। किसी को अंदाज़ा भी नहीं था कि यह सामान कितना संवेदनशील और ख़तरनाक है।
पूरा सच सामने आने के बाद पुलिस ने आरोपी प्रशांत कुमार बिष्ट को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहाँ से उसे जेल भेज दिया गया है।
एसएसपी देवेंद्र पींचा ने कहा कि मामले की गहराई से जांच की गई और बेहद कम समय में सच सामने आ गया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मकान मालिक और मजदूरों की इस मामले में कोई आपराधिक मंशा नहीं थी, क्योंकि उन्हें सामग्री की प्रकृति का ज्ञान ही नहीं था।
इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर सिद्ध किया है कि यदि जांच में तकनीकी दक्षता, टीमवर्क और नेतृत्व का प्रभावी संयोजन हो, तो कोई भी जटिल से जटिल मामला सहजता से सुलझाया जा सकता है।
सल्ट क्षेत्र की घनी झाड़ियों से मिली 161 जैलेटिन ट्यूबें जितना बड़ा सवाल खड़ा कर रही थीं, अल्मोड़ा पुलिस ने उतनी ही तेज़ी से उसका हल भी निकाल दिया और यही इस कार्रवाई को खास बनाता है।


