धामी कैबिनेट के सात महत्वपूर्ण फैसले। पढ़ें….
देहरादून। उत्तराखंड सचिवालय बुधवार को एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और प्रशासनिक गतिविधि का केंद्र बना, जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की उच्चस्तरीय बैठक संपन्न हुई।
बैठक में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी और सौरभ बहुगुणा उपस्थित रहे, वहीं वरिष्ठ मंत्री सतपाल महाराज और धन सिंह रावत वर्चुअली जुड़े।
बैठक की शुरुआत गंभीर और भावुक क्षणों के साथ हुई, जब मंत्रिमंडल ने राज्य निर्माण आंदोलन के स्तंभ और पूर्व कैबिनेट मंत्री दिवाकर भट्ट के निधन पर दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए।
राज्य की राजनीतिक यात्रा में दिवाकर भट्ट के योगदान को याद करते हुए कैबिनेट ने उनके संघर्ष, नेतृत्व और दूरदर्शिता को बड़े आदर के साथ स्मरण किया।
श्रद्धांजलि के बाद बैठक अपने औपचारिक एजेंडे की ओर बढ़ी, जहां विभिन्न विभागों से आए महत्त्वपूर्ण प्रस्तावों पर विस्तृत चर्चा की गई।
बैठक के समापन तक मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में कुल सात प्रमुख प्रस्तावों को मंजूरी मिली, जो आने वाले समय में राज्य की प्रशासनिक दक्षता, आर्थिक पारदर्शिता और सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था को नई दिशा देने वाले साबित हो सकते हैं।
इनमें सबसे पहले पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के लेखा-जोखा को विधानसभा के पटल पर रखने की अनुमति दी गई है, जो विभागीय गतिविधियों में पारदर्शिता का नया आयाम जोड़ेगा।
राज्य की न्यायिक व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में भी एक उल्लेखनीय निर्णय लिया गया। अभियोजन संवर्ग ढांचे के पुनर्गठन को कैबिनेट की मंजूरी मिली है, जिसके तहत सहायक अभियोजन अधिकारी के 46 नए पद सृजित किए जाएंगे।
यह निर्णय न केवल न्यायिक प्रक्रियाओं में तेजी लाएगा, बल्कि अभियोजन तंत्र को अधिक सक्षम और प्रभावी बनाएगा।
ऊर्जा विभाग के वार्षिक वित्तीय प्रतिवेदन 2022–23 को भी विधानसभा में प्रस्तुत किए जाने की अनुमति प्रदान कर दी गई, जिससे ऊर्जा क्षेत्र की वित्तीय स्थिति और नीतिगत प्रगति को लेकर पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी।
इसी बीच, राज्य की महिलाओं से जुड़ा एक ऐतिहासिक निर्णय भी कैबिनेट में लिया गया। अब उत्तराखंड की दुकानों और संस्थानों में कार्यरत महिला कर्मचारी रात 9 बजे से सुबह 6 बजे तक की नाइट शिफ्ट में काम कर सकेंगी—बशर्ते कि संस्थान उनके लिए सभी आवश्यक सुरक्षा प्रावधान सुनिश्चित करें।
यह निर्णय महिलाओं को अधिक रोजगार अवसर प्रदान करेगा और कार्यस्थल पर लैंगिक समानता को सशक्त करेगा।
बैठक में उत्तराखंड दुकान एवं स्थापना (रोजगार विनियमन और सेवा शर्त) अधिनियम, 2017 में संशोधन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए 2025 के अध्यादेश को मंजूरी दी गई है। धारा 1 (2), 8, 9 और 19 में किए गए परिवर्तन श्रम प्रबंधन को अधिक संगठित, आधुनिक और उत्तराखंड की बदलती रोजगार परिस्थितियों के अनुरूप बनाएंगे।
देहरादून की भविष्य की शहरी गतिशीलता से जुड़ी मेट्रो नियो परियोजना पर भी मंत्रिमंडल को अवगत कराया गया। भारत सरकार के आवासन एवं शहरी विकास मंत्रालय से प्राप्त सुझावों को कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत किया गया, ताकि परियोजना के अगले चरण पर मार्गदर्शन लिया जा सके। यह परियोजना राजधानी की ट्रैफिक व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता रखती है।
मानव–वन्यजीव संघर्ष, जो आज उत्तराखंड के पहाड़ी और मैदानी दोनों क्षेत्रों में चिंता का विषय बना हुआ है, उससे जुड़े मामलों में राहत वितरण को और अधिक कारगर बनाने के लिए “मानव वन्य जीव संघर्ष राहत वितरण निधि नियमावली–2025” में संशोधन को भी कैबिनेट की स्वीकृति प्राप्त हुई। संशोधन से प्रभावित परिवारों को तेज़, पारदर्शी और व्यवस्थित सहायता उपलब्ध कराना आसान होगा।
हालाँकि, शिक्षा विभाग से संबंधित दो प्रस्तावों पर मंत्रिमंडल ने फिलहाल निर्णय स्थगित कर दिया है। इन प्रस्तावों को पुनः परीक्षण और विस्तृत समीक्षा के बाद ही आगे बढ़ाया जाएगा, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि राज्य की शिक्षा नीति दूरगामी, व्यावहारिक और आधुनिक आवश्यकताओं के अनुरूप हो।
समग्र रूप से, धामी मंत्रिमंडल की यह बैठक न केवल प्रशासकीय दिशा में महत्वपूर्ण रही, बल्कि राज्य की विकास यात्रा, सामाजिक सुरक्षा और पारदर्शिता को नई गति देने वाली साबित हुई।
मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में लिए गए ये निर्णय उत्तराखंड के अगले चरण की प्रगति का आधार बन सकते हैं। एक ऐसा भविष्य जिसमें व्यवस्था अधिक सक्षम, समाज अधिक सुरक्षित और विकास अधिक समावेशी हो।


