औचक जांच में खुली मेडिकल सेंटरों की पोल। फर्जी रिकॉर्ड और बिना विशेषज्ञ अल्ट्रासाउंड का पर्दाफाश
रिपोर्ट- कृष्णा बिष्ट
हल्द्वानी में लंबे समय से डायग्नोस्टिक सेंटरों की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवालों के बीच प्रशासन की औचक जांच ने बड़े घोटाले का पर्दाफाश कर दिया।
जिलाधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी के निर्देश पर की गई इस जांच में पीसीपीएनडीटी अधिनियम के गंभीर उल्लंघन सामने आए हैं। शुक्रवार को हीरानगर स्थित सत्यम डायग्नोस्टिक सेंटर सहित दो केंद्रों का निरीक्षण किया गया।
सबसे बड़ा खुलासा: बिना रेडियोलॉजिस्ट के 26 अल्ट्रासाउंड
जांच टीम ने पाया कि रेडियोलॉजिस्ट की गैर-मौजूदगी में 26 मरीजों के अल्ट्रासाउंड किए गए, जो सीधे-सीधे पीसीपीएनडीटी कानून का उल्लंघन है। न तो एएनसी रजिस्टर में रेडियोलॉजिस्ट के हस्ताक्षर मिले, न ही फॉर्म पर जिससे रिकॉर्ड में हेराफेरी की आशंका और गहरा हो गया है।
अधिकारियों ने मौके से महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त कर रिपोर्ट डीएम को सौंप दी है। अब एफआईआर, लाइसेंस निलंबन और सेंटर सीलिंग की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा रही है।
पुराना विवाद फिर सुर्खियों में: MRI रिपोर्ट बदलने का मामला
सत्यम डायग्नोस्टिक सेंटर का विवादों से पुराना नाता है। पिछले वर्ष एक गंभीर लापरवाही उजागर हुई थी—जिसमें Brain MRI कराने वाले मरीज को Pelvis MRI की रिपोर्ट थमा दी गई। परिजनों ने विरोध किया तो कुछ देर बाद Brain MRI की रिपोर्ट पकड़ा दी गई।
प्रबंधन ने सफाई दी कि दो मरीजों का नाम एक जैसा था। लेकिन जब परिजनों ने पूछा कि अगर मरीज अलग हैं तो दोनों की Patient ID एक जैसी कैसे, तो सेंटर प्रबंधन के पास कोई जवाब नहीं था। उसी समय से सेंटर की विश्वसनीयता कटघरे में थी।
शिकायतें लगातार, कार्रवाई कम। इस ढील ने बढ़ाई मनमानी
हल्द्वानी के कई डायग्नोस्टिक सेंटरों पर लापरवाही, गलत रिपोर्ट, और भ्रूण लिंग जांच की आशंका जैसे आरोप लंबे समय से लगते रहे हैं। लेकिन सिस्टम की सुस्त कार्रवाई ने इन सेंटरों को बेख़ौफ बना दिया।
शुक्रवार की बड़ी कार्रवाई ने एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है कि, आखिर कब तक मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करते रहेंगे ऐसे सेंटर? और कब तक प्रशासन नियमों की आड़ में इन्हें खुली छूट देता रहेगा?
अब आगे क्या?
अधिकारियों ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि दस्तावेजी जांच पूरी होते ही जिम्मेदारों पर कड़ी पुलिस कार्रवाई, लाइसेंस निलंबन और सेंटर सीलिंग जैसे कदम उठाए जाएंगे।
स्वास्थ्य विभाग ने भी साफ किया है कि, “फर्जी रिपोर्ट, रिकॉर्ड में हेराफेरी और बिना रेडियोलॉजिस्ट के अल्ट्रासाउंड इन मामलों में शून्य सहनशीलता ही नीति है।”


