सुप्रीम कोर्ट में हल्द्वानी रेलवे जमीन विवाद की सुनवाई, अगली तारीख दो महीने बाद तय
नई दिल्ली। हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में रेलवे भूमि विवाद को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। जस्टिस सूर्यकान्त और जस्टिस जॉयमाला बागची की बेंच ने रेलवे, नगर निगम और वहां वर्षों से बसे परिवारों की ओर से रखी गई दलीलों को विस्तार से सुना।
सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए दो महीने बाद की तारीख तय कर दी है।
फिलहाल लिखित आदेश जारी नहीं हुआ है, इसलिए अगली कार्यवाही को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है।
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पहले क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बनभूलपुरा इलाके में रेलवे लाइन के पास स्थित जमीन पर बसे 4365 परिवारों से जुड़े मामले में राज्य सरकार को पुनर्वास योजना तैयार करने के आदेश दिए थे।
अदालत ने कहा था कि प्रभावित परिवारों के लिए वैकल्पिक भूमि चिन्हित की जाए और बिना पुनर्वास किसी को बेघर न किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को रेलवे और रेल मंत्रालय के साथ बैठक कर समाधान निकालने के निर्देश भी दिए थे।
ये है पूरा मामला
मामला 2013 में दायर जनहित याचिका से शुरू हुआ, जिसमें कहा गया कि रेलवे स्टेशन के पास गौला नदी में अवैध खनन हो रहा है और 2004 में पुल गिरने के पीछे यही कारण था। हाईकोर्ट ने इस पर रेलवे से जवाब मांगा।
रेलवे ने जवाब में 1959 का नोटिफिकेशन, 1971 का राजस्व रिकॉर्ड और 2017 की सर्वे रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि विवादित जमीन रेलवे की है जिस पर अतिक्रमण हुआ है।
हाईकोर्ट में यह स्थापित होने के बाद प्रभावित लोगों को जमीन खाली करने का नोटिस जारी किया गया।
निवासियों ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से कहा कि वह प्रभावितों की भी बात सुने। लंबे समय तक चली सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अतिक्रमण को सही मानते हुए उसे हटाने का आदेश दे दिया।
इसके बाद 2 जनवरी 2023 को प्रभावितों ने फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहाँ से हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे लगा दिया गया और अब मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।


