विशेष सत्र में गैरसैंण, पलायन, कमीशनखोरी पर हंगामा। राज्य की प्रगति पर CM धामी का दावा, सत्र स्थगित
देहरादून। उत्तराखंड राज्य गठन के 25 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित विधानसभा के विशेष सत्र की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। तीन दिनों तक चले इस सत्र में पक्ष–विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली।
सत्र के दौरान कमीशनखोरी, पलायन, गैरसैंण स्थायी राजधानी, मूल निवास, खराब कार्यसंस्कृति जैसे मुद्दे सदन में हावी रहे।
राष्ट्रपति ने की सत्र की शुरुआत, महिला विधायकों ने पारंपरिक परिधान में दी उपस्थिति
विशेष सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण से हुई। इस दौरान उन्होंने राज्य आंदोलन में महिलाओं की भूमिका को याद किया। सदन में महिला विधायक पारंपरिक परिधान में शामिल हुईं, जिससे माहौल खास रहा। सत्र के पहले दिन विपक्ष की सक्रियता देखने को मिली, जिसके चलते सरकार कई मुद्दों पर बैकफुट पर नजर आई।
सीएम धामी ने किया सरकार का रिपोर्ट कार्ड पेश
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सत्र में राज्य की उपलब्धियों का ब्यौरा रखा। उन्होंने कहा कि,
- राज्य में रोजगार–स्वरोजगार बढ़ाने के लिए 30 से अधिक नई नीतियाँ लागू की गईं।
- सतत विकास लक्ष्य इंडेक्स 2023-24 में उत्तराखंड देश में प्रथम स्थान पर रहा।
- प्रदेश की अर्थव्यवस्था का आकार बढ़कर 3.78 लाख करोड़ रुपये होने जा रहा है।
- प्रति व्यक्ति आय बढ़कर 2.74 लाख रुपये तक पहुँची है।
सीएम धामी ने विशेष सत्र को ऐतिहासिक करार दिया और कहा कि राष्ट्रपति का इसमें शामिल होना गर्व का क्षण है।
गैरसैंण पर घमासान, कांग्रेस में ‘डबल स्टैंड’ पर तकरार
सत्र के दौरान गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने का मुद्दा सबसे ज्यादा गरमाया। कांग्रेस विधायक तिलक राज बेहड़ ने कहा कि अब गैरसैंण को स्थायी राजधानी नहीं बनाया जा सकता और राजधानी देहरादून में ही रहनी चाहिए।
जबकि पूर्व सीएम हरीश रावत पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि 2027 में कांग्रेस की सरकार बनने पर गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाया जाएगा।
बीजेपी विधायक विनोद चमोली ने तिलक राज बेहड़ के बयान पर तंज कसते हुए कहा, “कांग्रेस गैरसैंण के मुद्दे पर सिर्फ राजनीति करती है। 10 साल सरकार में रहते हुए भी राजधानी घोषित क्यों नहीं की?”
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि किसी एक व्यक्ति का बयान पार्टी की लाइन नहीं हो सकता। कांग्रेस ने गैरसैंण के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
विनोद चमोली का तीखा हमला—पहली सरकार ने ही गलत कार्य संस्कृति की नींव रखी
बीजेपी के वरिष्ठ विधायक विनोद चमोली ने कहा कि उत्तराखंड के प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री एन.डी. तिवारी ने प्रदेश में उत्तर प्रदेश की कार्यशैली लागू कर गलत कार्यसंस्कृति की शुरुआत की। उन्होंने कहा,
- मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष की बंदरबांट की शुरुआत राज्य की पहली सरकार ने की।
- राज्य बाहर के लोगों के लिए “धर्मशाला” बन गया है।
- “मूल निवास” नीति की व्यवस्था होनी चाहिए।
गैरसैंण के विकास के लिए वरिष्ठ स्तर के अधिकारी की तैनाती जरूरीउन्होंने सदन में चेतावनी भरे स्वर में कहा कि, “राज्यहित में बोलने पर यदि कुछ झेलना पड़े तो झेलने को तैयार हूँ।”
उनके बयान पर विपक्षी विधायकों वीरेंद्र जाटव, रवि बहादुर और निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने घेरा, जिससे सदन में हंगामा हो गया। उमेश कुमार द्वारा टोकाटाकी पर चमोली भड़क उठे और बोले, “उत्तराखंड के चौधरी मत बनो!”
पलायन–कमीशनखोरी पर गर्म हुई बहस
विशेष सत्र में उत्तराखंड की सबसे बड़ी समस्याओं पलायन और कमीशनखोरी का मुद्दा भी खूब छाया रहा। विपक्ष ने सरकार पर हमले किए, जबकि सत्तापक्ष ने नीतियों और उपलब्धियों का हवाला दिया।
कार्यवाही स्थगित, लेकिन सवाल बरकरार
तीन दिवसीय मंथन के बाद विशेष सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया।
- पहाड़–मैदानी असंतुलन
- गैरसैंण स्थायी राजधानी
- मूल निवास
- भ्रष्टाचार
- पलायन
जैसे सवाल अब भी राजनीतिक विमर्श के केंद्र में बने हुए हैं।
रजत जयंती विशेष सत्र में उत्तराखंड के 25 वर्षों के सफर पर चिंतन–मनन हुआ, लेकिन बहस इस बात पर अधिक रही कि भविष्य में राज्य का स्वरूप कैसा हो—
- क्या राजधानी गैरसैंण बने?
- क्या मूल निवास नीति लागू हो?
- पलायन कैसे रुके?
- कमीशनखोरी पर लगाम कैसे लगे?
इन सवालों के समाधान को लेकर अभी भी स्थिति स्पष्ट नहीं है।


