धामी सरकार मनाएगी उत्तराखंड की 25वीं वर्षगांठ, विपक्ष बोला- खामियों पर भी हो चर्चा
- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू कर सकती हैं विशेष सत्र को संबोधित, पूर्व सीएम हरीश रावत बोले- देहरादून नहीं, भराड़ीसैंण में होना चाहिए आयोजन
देहरादून। उत्तराखंड राज्य गठन के 25 वर्ष पूरे होने पर धामी सरकार रजत जयंती वर्ष को ऐतिहासिक बनाने की तैयारी में जुटी है।
सरकार ने यह वर्ष जनता के नाम करने की मंशा से पिछले 25 सालों के विकास कार्यों का “लेखा-जोखा” पेश करने का निर्णय लिया है। इसके तहत कैबिनेट मंत्रियों को अपने-अपने विभागों का बहीखाता जनता के सामने रखने की जिम्मेदारी दी गई है।
लेकिन इस सरकारी कवायद से पहले ही प्रदेश में राजनीतिक श्रेय लेने की होड़ शुरू हो गई है। सत्ताधारी भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस आमने-सामने आ गए हैं।
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को निमंत्रण
- सरकार ने रजत जयंती वर्ष को यादगार बनाने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रण भेजा है।
- तीन और चार नवंबर को देहरादून विधानसभा भवन में विशेष सत्र बुलाया गया है, जिसे राष्ट्रपति संबोधित कर सकती हैं।
- इस दौरान राज्य स्थापना दिवस (9 नवंबर) तक विभिन्न सांस्कृतिक और विकासपरक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
धामी सरकार का बहीखाता प्लान
- मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर प्रत्येक मंत्री अपने विभाग में पिछले 25 वर्षों की उपलब्धियों का “विकास रिपोर्ट कार्ड” जनता के सामने रखेंगे।
- सरकार का कहना है कि इससे जनता को यह समझने में मदद मिलेगी कि राज्य की स्थापना के बाद से अब तक किन-किन क्षेत्रों में प्रगति हुई है।
- विभागों को इसके लिए अधिकारियों के माध्यम से विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए जा चुके हैं।
कांग्रेस का पलटवार
कांग्रेस ने सरकार के इस कार्यक्रम को राजनीतिक प्रदर्शन करार दिया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता सूर्यकांत धस्माना ने कहा, “पिछले 25 वर्षों में 10 साल कांग्रेस की सरकार रही है। विकास की जो लाइन कांग्रेस ने खींची थी, भाजपा उससे बहुत पीछे रह गई। सरकार को बताना चाहिए कि आंदोलनकारियों के सपनों का राज्य आज कहां खड़ा है खासकर शिक्षा और स्वास्थ्य के मोर्चे पर।”
हरीश रावत ने गैरसैंण का मुद्दा उठाया
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने रजत जयंती विशेष सत्र को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “राज्य की उपलब्धियों के साथ-साथ कमजोरियों का भी विवेचन जरूरी है। रजत जयंती सत्र केवल दो दिन का नहीं बल्कि चार दिन का होना चाहिए था। और सबसे बड़ी गलती यह है कि सत्र देहरादून में नहीं, भराड़ीसैंण में होना चाहिए था।”
हरीश रावत ने कहा कि गैरसैंण को राज्य की स्थायी राजधानी के रूप में विकसित करने का संकल्प भुलाया जा रहा है। “अगर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू हिमालय के बीचोंबीच भराड़ीसैंण में सत्र को संबोधित करतीं, तो यह राज्य के स्वप्नदृष्टाओं को सच्ची श्रद्धांजलि होती।”
भाजपा का जवाब
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा, “यह समय आरोप-प्रत्यारोप का नहीं, उपलब्धियों को साझा करने का है। सरकार जनता को यह बताने जा रही है कि 25 वर्षों में उत्तराखंड ने कितनी ऊंचाइयां हासिल की हैं। विपक्ष को सकारात्मक सहयोग करना चाहिए।”
राजनीति और प्रतीक का संगम
रजत जयंती वर्ष न केवल राज्य के विकास की समीक्षा का अवसर है, बल्कि यह राजनीतिक प्रतीकवाद का भी मंच बनता जा रहा है। एक ओर जहां धामी सरकार इसे उपलब्धियों के उत्सव के रूप में मना रही है, वहीं कांग्रेस इसे “जन सरोकार और अधूरे सपनों की समीक्षा” के अवसर के रूप में देख रही है।
9 नवंबर को जब उत्तराखंड अपनी स्थापना के 25 वर्ष पूरे करेगा, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्य का यह रजत पर्व भविष्य के “स्वर्णिम उत्तराखंड” की दिशा तय कर पाता है या राजनीतिक बयानबाज़ी में सिमट जाता है।

